Tuesday, July 1, 2025

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आओ बच्चों कुछ अनोखा कर दिखाएं /बाल कविता

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कसक #नईकविता #प्रीतिराघवचौहान

कुछ, न पाने की कसक सब कुछ होने से ज्यादा है। चाँद समूचा खिड़की में  पर अंधकार से वादा है  मंज़िल पर आ बैठे हैं  प्यास मगर है राह...

TheTeacher

 यदि समाज में जड़ता है, ये जड़ता कौन मिटाएगा? किसकी ज़िम्मेदारी है ये, राहें कौन दिखाएगा? हर चॉक की रेख से पूछो, किसने दुनिया बदली है? हर पुस्तक के पृष्ठ...

योग दिवस

योग एक दिवस नहीं सतत् की जाने वाली क्रिया है, जिसमें स्वयं को लगातार रखना होता है एकाग्र और स्थिर। श्वास की गति में लानी होती है समता चिंतन...
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आजादी क्या मिली वो स्वच्छंद हो गये

आजादी क्या मिली वो स्वच्छंद हो गये कतारों में लगे लोग लामबंद हो गये हांकने वाले भी थे हुजूम में शामिल आजाद तराने गलों  में बंद हो गए जलसा जुलूस में तब्दील हो...

TheTeacher

 यदि समाज में जड़ता है, ये जड़ता कौन मिटाएगा? किसकी ज़िम्मेदारी है ये, राहें कौन दिखाएगा? हर चॉक की रेख से पूछो, किसने दुनिया बदली है? हर पुस्तक के पृष्ठ...

आज का विचार

सरलता रंगों का स्वाभाविक गुण है। चाहे किसी भी रंग में मिलाओ ये सहज ही दूसरे में विलय हो जाते हैं। अतः सरल बनो। 

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निपुण भारत नया भारत (मिशन मोड में भारतीय शिक्षा नीति)

जानकर परिवेश उसका   करें उसके दिल की बात रोज-रोज, कदम दर कदम  चलना होगा उसके साथ  क्या सीखा? कितना सीखा? और क्या बाकी अभी? सीखने होंगे हमें उसके अपने शब्द...

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कसक #नईकविता #प्रीतिराघवचौहान

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कसक #नईकविता

TheTeacher

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आस्था का सूर्य उदय होते ही जग प्रकृति की हर शय खूबसूरत नज़र आती है।

आज का विचार

"आस्था का सूर्य  उदय होते ही जग प्रकृति की हर शय खूबसूरत नज़र आती है।"

चल बनकर बंजारा

गीत  चल बनकर बंजारा पगले करता जा ता रा रा रा बनकर मेघ मल्हार बरस जा गर जीवन है अंगारा चल बनकर बंजारा पगले करता जा ता रा रा रा   राह...

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लक्ष्य चाहे कितना बड़ा हो शुरुआत जमीन से करनी पड़ती है...प्रीति
चंचल चीता चला चमोली

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कसक #नईकविता #प्रीतिराघवचौहान

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आदर्श उच्च हों तो प्रतिकूल परिस्थितियों में भी अनुकूलता आ जाती है । 
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सफर में हूँ निरन्तर मैं सड़क पर ज़िन्दगानी की तुम्हें लगता है ठहरा हूँ मैं कब से एक ही ठीये बहुत सी खामियां लेकर उठा भी...
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