No more jokes on ladies…

स्वयं पर हंसे औरत पर नहीं

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मैं औरत हूँ

हर सब्जी में मिल खुश

होना चाहती हूँ

क्या करूँ

उसने हरा जामा पहनाया

लगे अगर किसी को

मेरा क्या कुसूर

मैं भी सोई हुई थी..

अचानक जागरण हुआ

 क्या जीवन भर हम

 खुद पर हंसते रहेंगे??

अपने परमेश्वर को भी

ये मौका दें बहना

हर जगह औरत का

 मजाक ठीक नहीं ..

 आप बतायें सरकार को

आपकी सम्पत्ति क्या है

 बतायेंगी..???

संग है क्या जो कमाया..?

उसके बाद स्वयं पर

हंसी न आये तो कहना!!

 बाद उसके हर चुटकुला

 पढ़ कर सोचना…

क्या मैं ये हूँ..

क्या औरतें ऐसी होती हैं..?

तब तुम कहोगी

No more jokes on ladies……

VIAPritiraghavchauhan
SOURCEPritiraghavchauhan
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नाम:प्रीति राघव चौहान शिक्षा :एम. ए. (हिन्दी) बी. एड. एक रचनाकार सदैव अपनी कृतियों के रूप में जीवित रहता है। वह सदैव नित नूतन की खोज में रहता है। तमाम अवरोधों और संघर्षों के बावजूद ये बंजारा पूर्णतः मोक्ष की चाह में निरन्तर प्रयास रत रहता है। ऐसी ही एक रचनाकार प्रीति राघव चौहान मध्यम वर्ग से जुड़ी अनूठी रचनाकार हैं।इन्होंने फर्श से अर्श तक विभिन्न रचनायें लिखीं है ।1989 से ये लेखन कार्य में सक्रिय हैं। 2013 से इन्होंने ऑनलाइन लेखन में प्रवेश किया । अनंत यात्रा, ब्लॉग -अनंतयात्रा. कॉम, योर कोट इन व प्रीतिराघवचौहान. कॉम, व हिन्दीस्पीकिंग ट्री पर ये निरन्तर सक्रिय रहती हैं ।इनकी रचनायें चाहे वो कवितायें हों या कहानी लेख हों या विचार सभी के मन को आन्दोलित करने में समर्थ हैं ।किसी नदी की भांति इनकी सृजन क्षमता शनै:शनै: बढ़ती ही जा रही है ।

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