OCD

Obsessive compulsive disorder

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ओ सी डी
स्कूल में ऐसे ही छोटी सी बहस हो रही थी। साइंस टीचर श्याम सिंह के कथन पर सारे के सारे टीचर ठहाके लगा रहे थे । वह कह रहे थे तुम्हें पता है आज मिड डे मील वर्कर सब्जियां काट रही थी और साथ ही साथ उन्हें खाती भी जा रही थी । उसका लड़का कटी हुई सब्जियों में से गंदे हाथों से गाजर लेकर खा रहा था । उसके बाद हद तो तब हो गई जब पकते हुए पुलाव में से एक ने चमचे से पुलाव निकाला और उसे चखकर देखा ।उसके हाथ गंदे थे !!!! वही गंदे हाथ उसने चमचे के चावलों में डालें और उसमें से थोड़े से चावल मुँह में डालें और उसके बाद वही चमचा डालकर चावलों को चलाने लगी । अब सब के श्याम सिंह की इस बात पर ठहाके लगाने लगे ।
सुरुचि मैडम ने कहा ,”सर जी हम तो यहां कितने सालों से हैं… हमें तो कभी ऐसा नहीं लगा !आपको जरूर ओसीडी है। आप रोज इसी तरह की बातें करते हैं कि यह जगह गंदी है यह लोग गंदे हैं आपके दिमाग में कोई कीड़ा जरूर है।“
बात आई गई हो गई ।
“सुनती है शोभा आज शाम को घर जाते हुए मेरी साड़ी फॉल के लिए डालती जाना तीन साड़ियां हैं । दो पर फॉल लगानी है और एक को पिकू क२ना है। ठीक है ..।”सुरुचि ने अपनी मेड से कहा ।
“ठीक है भाभी जी, मैं डाल दूंगी ।शोभा साड़ी ले कर चली गई । सप्ताह के बाद सुरुचि को जब साड़ियां याद आई तो उसने शोभा से पूछा _”शोभा मेरी साड़ियां कहां है ??अभी तक लेकर नहीं आई।“
“क्या हुआ भाभी वो साड़ेयाँ है ना मैं लेकर तो गई थी पर वह पिकु वाली घर पर नहीं थी ।वो अपने गांव गई हुई है। वो साड़ियां मेरी खोली में रखी ह्रैं ।कल फिर दोबारा जाकर देखूंगी।,-शोभा ने जवाब दिया ।
क्या तूने वो साड़ियां आज तक अपनी झोपड़ी में रख रखी है? हद कर दी तूने !!उन उन साड़ियों में तेरी झोपड़ी की गंदी बदबू आ गई होगी बेवकूफ। कितने चूहे है तेरी झोपड़ी में.. और उनकी गंदी बदबू बस रहने दे… मेरी साड़ी वापस ला देना। एकाएक गुस्से में सुरुची का चेहरा तमतमा गया। ओसीडी उसके चेहरे पर नज़र आ रही थी.।
“प्रीति राघव चौहान “

VIAPriti
SOURCEPriti Raghav Chauhan
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नाम:प्रीति राघव चौहान शिक्षा :एम. ए. (हिन्दी) बी. एड. एक रचनाकार सदैव अपनी कृतियों के रूप में जीवित रहता है। वह सदैव नित नूतन की खोज में रहता है। तमाम अवरोधों और संघर्षों के बावजूद ये बंजारा पूर्णतः मोक्ष की चाह में निरन्तर प्रयास रत रहता है। ऐसी ही एक रचनाकार प्रीति राघव चौहान मध्यम वर्ग से जुड़ी अनूठी रचनाकार हैं।इन्होंने फर्श से अर्श तक विभिन्न रचनायें लिखीं है ।1989 से ये लेखन कार्य में सक्रिय हैं। 2013 से इन्होंने ऑनलाइन लेखन में प्रवेश किया । अनंत यात्रा, ब्लॉग -अनंतयात्रा. कॉम, योर कोट इन व प्रीतिराघवचौहान. कॉम, व हिन्दीस्पीकिंग ट्री पर ये निरन्तर सक्रिय रहती हैं ।इनकी रचनायें चाहे वो कवितायें हों या कहानी लेख हों या विचार सभी के मन को आन्दोलित करने में समर्थ हैं ।किसी नदी की भांति इनकी सृजन क्षमता शनै:शनै: बढ़ती ही जा रही है ।

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