जिस रोज हम सक्षम होंगे

परचम तभी फहराएंगे

हिंद ए आजादी के

तराने तभी गाएंगे

नींद में थे तभी शायद यूँ पीछे रहे

अब शुरु हुए हैं न उनके हाथ आएंगे

जिस रोज हम सक्षम होंगे

परचम तभी फहराएंगे

जहालत में आज तक

रक्खा इक परिवार ने

सक्षम की ले मशाल

उन्हें आईना दिखाएंगे

जिस रोज हम सक्षम होंगे

परचम तभी फहराएंगे

सिंहासन चाहे भारी हो

शिक्षित के आगे च्यूंटी है

घर घर अलख जगाकर

डंका ए कलम बजाऐंगे

जिस रोज हम सक्षम होंगे

परचम तभी फहराएंगे

भ्रष्टाचारी रिश्वतखोरी

है मूल सभी का अशिक्षा

अशिक्षा है अभिशाप इसे

समूल नष्ट करवाएंगे

जिस रोज हम सक्षम होंगे

परचम तभी फहराएंगे

VIAPriti Raghav Chauhan
SOURCEप्रीति राघव चौहान
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नाम:प्रीति राघव चौहान शिक्षा :एम. ए. (हिन्दी) बी. एड. एक रचनाकार सदैव अपनी कृतियों के रूप में जीवित रहता है। वह सदैव नित नूतन की खोज में रहता है। तमाम अवरोधों और संघर्षों के बावजूद ये बंजारा पूर्णतः मोक्ष की चाह में निरन्तर प्रयास रत रहता है। ऐसी ही एक रचनाकार प्रीति राघव चौहान मध्यम वर्ग से जुड़ी अनूठी रचनाकार हैं।इन्होंने फर्श से अर्श तक विभिन्न रचनायें लिखीं है ।1989 से ये लेखन कार्य में सक्रिय हैं। 2013 से इन्होंने ऑनलाइन लेखन में प्रवेश किया । अनंत यात्रा, ब्लॉग -अनंतयात्रा. कॉम, योर कोट इन व प्रीतिराघवचौहान. कॉम, व हिन्दीस्पीकिंग ट्री पर ये निरन्तर सक्रिय रहती हैं ।इनकी रचनायें चाहे वो कवितायें हों या कहानी लेख हों या विचार सभी के मन को आन्दोलित करने में समर्थ हैं ।किसी नदी की भांति इनकी सृजन क्षमता शनै:शनै: बढ़ती ही जा रही है ।

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