Anger Management..

चलो गुस्से से निकलें

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क्रोध किसी क्रिया की प्रतिक्रिया मात्र होता है। सामने खड़ी विपरीत परिस्थितियों की दीवार पर अपने क्रोध की जोर आजमाइश करने से बेहतर है तुरंत प्रभाव से वो जगह छोड़ दें…माना जीवन की जीवंत परिस्थितियों में कोई ब्लॉक या म्यूट का बटन नहीं होता लेकिन उसे इसी तरह समझें जैसे उस परिस्थिति को म्यूट कर दिया, ब्लॉक कर दिया हो और उस जगह को छोड़ दें।

गुस्से में गुस्सा दिलाने वाले का सामना कभी नहीं करना चाहिए।

जरूरी नहीं प्रत्येक अनर्गल बात को अपने विवेक पर हावी होने दिया जाए। कभी गौर से देखेंगे तो पाएंगे कि पिछली बार जब हमें गुस्सा आया था तो उसकी वजह बहुत मामूली थी और बात का बतंगड़ बन गया कैसा होता यदि उस वक्त हमने वह जगह छोड़कर एक दो गिलास पानी पिया होता।

उस जगह को छोड़ अपनी रुचि का कोई कार्य किया होता।

यदि क्रोध आपपर हावी है तो बेहतर है उससे कुछ नया करें।आस पड़ोस में सफाई अभियान चला दें।

एक फावड़ा या खुरपी लेकर आसपास से खरपतवार साफ करें।

लेखक हैं तो लिखें।

गायक हैं तो गाएं या संगीत सुने।

एक घंटे बाद क्रोध पहले से कम महसूस होगा। चार घंटे बाद उससे कम और अगले रोज़ शायद न रहे। यदि आप निरन्तर लंबे समय तक क्रोध की अवस्था में रहते हैं तो फिर आपको काउंसिलर के पास जाना ही चाहिये।

 

VIAPriti Raghav Chauhan
SOURCEPriti Raghav Chauhan
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नाम:प्रीति राघव चौहान शिक्षा :एम. ए. (हिन्दी) बी. एड. एक रचनाकार सदैव अपनी कृतियों के रूप में जीवित रहता है। वह सदैव नित नूतन की खोज में रहता है। तमाम अवरोधों और संघर्षों के बावजूद ये बंजारा पूर्णतः मोक्ष की चाह में निरन्तर प्रयास रत रहता है। ऐसी ही एक रचनाकार प्रीति राघव चौहान मध्यम वर्ग से जुड़ी अनूठी रचनाकार हैं।इन्होंने फर्श से अर्श तक विभिन्न रचनायें लिखीं है ।1989 से ये लेखन कार्य में सक्रिय हैं। 2013 से इन्होंने ऑनलाइन लेखन में प्रवेश किया । अनंत यात्रा, ब्लॉग -अनंतयात्रा. कॉम, योर कोट इन व प्रीतिराघवचौहान. कॉम, व हिन्दीस्पीकिंग ट्री पर ये निरन्तर सक्रिय रहती हैं ।इनकी रचनायें चाहे वो कवितायें हों या कहानी लेख हों या विचार सभी के मन को आन्दोलित करने में समर्थ हैं ।किसी नदी की भांति इनकी सृजन क्षमता शनै:शनै: बढ़ती ही जा रही है ।

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