1. क्या खोया क्या पाया तुमने छोड़ो भी अब जाने दो 

    मन को मारे मत बैठो तुम बीत गया सो जाने दो 

     

    जो तुमने उपकार किये उनके फल को क्यों मांगो

    छोड़ो गठरी मोह माया की मन से सब चिंता त्यागो

    अगर बांटनी खुशियाँ बांटो गीत खुशी के गाने दो

    मन को मारे मत बैठो तुम बीत गया सो जाने दो 

     

    बाधा से डरकर क्या रुकना बाधाएं तो आएंगी

     ठोकर हर पग देंगी तुमको विचलित भी कर जाएंगी

     कभी दुखी होकर ना रुकना दुख को वज्र बनाने दो

     मन को मारे मत बैठो तुम बीत गया सो जाने दो

     

    नया सूर्य है नया सवेरा नव कोंपल नव उपवन हैं 

    नई माटी के नए खिलौने नव पल्लव हर आंगन हैं 

    आस के जल से कर दो सिंचित नए पुष्प लहराने दो 

    मन को मारे मत बैठो तुम बीत गया सो जाने दो 

VIAPRITI RAGHAV CHAUHAN
SOURCEPritiRaghavChauhan
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नाम:प्रीति राघव चौहान शिक्षा :एम. ए. (हिन्दी) बी. एड. एक रचनाकार सदैव अपनी कृतियों के रूप में जीवित रहता है। वह सदैव नित नूतन की खोज में रहता है। तमाम अवरोधों और संघर्षों के बावजूद ये बंजारा पूर्णतः मोक्ष की चाह में निरन्तर प्रयास रत रहता है। ऐसी ही एक रचनाकार प्रीति राघव चौहान मध्यम वर्ग से जुड़ी अनूठी रचनाकार हैं।इन्होंने फर्श से अर्श तक विभिन्न रचनायें लिखीं है ।1989 से ये लेखन कार्य में सक्रिय हैं। 2013 से इन्होंने ऑनलाइन लेखन में प्रवेश किया । अनंत यात्रा, ब्लॉग -अनंतयात्रा. कॉम, योर कोट इन व प्रीतिराघवचौहान. कॉम, व हिन्दीस्पीकिंग ट्री पर ये निरन्तर सक्रिय रहती हैं ।इनकी रचनायें चाहे वो कवितायें हों या कहानी लेख हों या विचार सभी के मन को आन्दोलित करने में समर्थ हैं ।किसी नदी की भांति इनकी सृजन क्षमता शनै:शनै: बढ़ती ही जा रही है ।

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