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हर अतिथि के पीछे मुण्डित सर का जमघट होगा

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क्या आपने सुना हुज़ूर 

मैना ने सर मुंडवाया है 

वो एक सैनिक की बेवा है

संग सैनिक का साया है 

पीछे उसके अतिथिगण

की भरी पुरी एक सेना है

जल्दी चल कर मिलें महोदय

आँसू ही उसके बैना है

चुप्पी है उसके  आसपास

आक्रोशित इक सन्नाटा है

इक तेज समन्दर अश्कों का

इस ओर बढ़ा सा आता है 

मान्यवर आप समझ लें

अब कार्यकाल भी थोड़ा है

वरद हस्त रख दें सर पर

अतिथि चेतक सा घोड़ा हैं

बारह वर्ष इन्हें  हमने 

बैसाखी सा आजमाया है

गुरुओं की धरती पर 

फिर कलंक का साया है

वंदेय गुरुजन हैं 

भिक्षा बदले देते शिक्षा

अब फर्ज़ हमारा बनता हैं

हम चलकर दें इनको दीक्षा 

गलत यदि हैं अतिथि ये 

समूल नाश इनका कर दें 

बहुत हलाल किये मस्तक

भाल अलग इनका कर दें

पर याद रहे. . मान्यवर

हर विद्यालय मरघट होगा

एक एक अतिथि के पीछे

मुण्डित सर का जमघट होगा

प्रीति राघव चौहान 

VIAPriti Raghav Chauhan
SOURCEप्रीति राघव चौहान
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नाम:प्रीति राघव चौहान शिक्षा :एम. ए. (हिन्दी) बी. एड. एक रचनाकार सदैव अपनी कृतियों के रूप में जीवित रहता है। वह सदैव नित नूतन की खोज में रहता है। तमाम अवरोधों और संघर्षों के बावजूद ये बंजारा पूर्णतः मोक्ष की चाह में निरन्तर प्रयास रत रहता है। ऐसी ही एक रचनाकार प्रीति राघव चौहान मध्यम वर्ग से जुड़ी अनूठी रचनाकार हैं।इन्होंने फर्श से अर्श तक विभिन्न रचनायें लिखीं है ।1989 से ये लेखन कार्य में सक्रिय हैं। 2013 से इन्होंने ऑनलाइन लेखन में प्रवेश किया । अनंत यात्रा, ब्लॉग -अनंतयात्रा. कॉम, योर कोट इन व प्रीतिराघवचौहान. कॉम, व हिन्दीस्पीकिंग ट्री पर ये निरन्तर सक्रिय रहती हैं ।इनकी रचनायें चाहे वो कवितायें हों या कहानी लेख हों या विचार सभी के मन को आन्दोलित करने में समर्थ हैं ।किसी नदी की भांति इनकी सृजन क्षमता शनै:शनै: बढ़ती ही जा रही है ।

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