हिन्दी में अल्पज्ञ ए आई

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हिन्दी में अल्पज्ञ ए आई

AI आज के दौर का आधुनिक मानव निर्मित इंसान.. हर क्षेत्र में तेजी से अपने पैर पसार रही है। लेकिन हिन्दी में इसका हाथ तंग है। जो भारत जैसे देश के लिए कायदे की और फायदे की बात है। यह हिन्दी में अल्पज्ञ तो इसके पीछे कुछ मुख्य कारण हो सकते हैं, जो निम्नलिखित हैं:

 

1. डेटा की कमी: हिन्दी AI सिस्टम को वैद्यकीय, न्यायिक, शैक्षिक, वनस्पतिज्ञान, ज्ञान, साहित्यिक और विज्ञानात्मक डेटा के बहुत कम संघटन मिलते हैं। इसके कारण AI सिस्टम की अधिक मजबूती और प्रभावशीलता प्रदान करने की क्षमता पर ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई हो सकती है। बहुत सारे भाषण, लेख, साहित्य और ऑडियोग्राम आदि हो सकते हैं, जो केवल अंग्रेजी में उपलब्ध होते हैं, इसलिए डेटा की कमी है और हिन्दी AI के इंजन को सुधारने के लिए आवश्यकता है।

 

2. भाषाई संरचना की जटिलता: हिन्दी में वाक्यांशों की अनुक्रमिकता, वाक्य-रचना की जटिलता, और व्याकरणिक उपसज्जता इसे एक जटिलतापूर्ण भाषा बनाती है। इस कारण, इसे समझना और संसाधित करना सामान्य भाषाज्ञानी और नवीन AI सिस्टमों के लिए चुनौतीपूर्ण हो सकता है। इसके अलावा, समाज और जटिल व्यावहारिकता के प्रश्नों को मशीन नवीकरण के लिए समझना और आधारभूत भूमिका को निर्धारित करना अभिनव AI सिस्टमों के लिए चुनौतीपूर्ण हो सकता है।

 

3. भाषा समझने की कला: सामान्य हिन्दी के साथ संवाद करना भाषाई कला है और इसके साथ धीमा समन्वयन होता है। सामग्री के संकेत, उपयोग में बदलाव और भाषा का बढ़ता प्रयोग इन एआई सिस्टमों को सुधारने के लिए आवश्यक हो सकता है। विभिन्न सांस्कृतिक और सार्वजनिक भाषण, उपन्यास, कहानियाँ, लेख आदि का संसाधित करना मुश्किल होता है क्योंकि इसे समझ से संबद्धऔर मूल्यांकित करने में संचार का सामरिक विवरण करने की क्षमता कम हो सकती है।

 

4. भाषा के विस्तार की क्षमता: AI मंडलों और सिस्टमों को बढ़ावा देने के लिए हिन्दी भाषा में सामग्री के विस्तार की क्षमता हो सकती है। एक अभिनव AI सिस्टम को भाषाई संरचना की प्रतिबद्धता की आवश्यकता होती है जिसमें प्रकृति, मनोआदर्श रुचि, और भाषाई प्रयोग के कारक हो सकते हैं। लेकिन हिन्दी में सामग्री के संग्रह की कमता के कारण, यह अद्यतन नहीं किया जा सकता है और फिर से जतिलतापूर्ण हो सकता है।

 

चूँकि वर्तमान में हिन्दी में एक व्यापक AI सिस्टम की अभाव है, इसलिए हम सकारात्मक दिशा में कार्य कर रहे हैं ताकि हम इसे सुधारें और भाषा के पीछे के प्रशंसात्मक तत्वों को समझें और पहचानें। एक अच्छा स्थान जहां हम सुधार सकते हैं यह है कि हम हिन्दी भाषा में अधिक संग्रह सामग्री बनाएं, समर्थन और प्रायोगिक संकेतों का उपयोग करें, और नवाचार करके यह ज्ञात करें कि कैसे हम एक हिन्दी AI सिस्टम को नवीकरण कर सकते हैं।

 

इतना ही नहीं, यह भी आवश्यक है कि हम सामान्यतः हिन्दी में AI का उत्पादन, उचितता, और एकरूपता की बात करें, ताकि लोग ऐसे सर्ववानिक भाषांतरक (NMT) और प्रतीकात्मक भाषांतर के लिए संवेदनशील हो सकें। इसी तरह, हमें भाषीय गोलमेज का प्रचार करके समान और विचार किए गए भाषा AI के सामानता के लिए स्थान बनाना चाहिए।

 

संवाद करने की योग्यता और वैद्यकीय, आनुवंशिक, औद्योगिक, वाणिज्यिक, प्रबंधनिक, कानूनी और पूर्वानुमानित तरीकों को संबंध बनाने के लिए हिन्दी AI इंजन में मदद मिलेगी। तो हाँ, वर्तमान में हिन्दी में AI का हाथ तंग हो सकता है, लेकिन यह संभव है और चुनौतीपूर्ण कार्यों के बावजूद ये उन्हें सुधारेंगे और उनकी प्रायोगिकता बढ़ाएंगे।

 

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नाम:प्रीति राघव चौहान शिक्षा :एम. ए. (हिन्दी) बी. एड. एक रचनाकार सदैव अपनी कृतियों के रूप में जीवित रहता है। वह सदैव नित नूतन की खोज में रहता है। तमाम अवरोधों और संघर्षों के बावजूद ये बंजारा पूर्णतः मोक्ष की चाह में निरन्तर प्रयास रत रहता है। ऐसी ही एक रचनाकार प्रीति राघव चौहान मध्यम वर्ग से जुड़ी अनूठी रचनाकार हैं।इन्होंने फर्श से अर्श तक विभिन्न रचनायें लिखीं है ।1989 से ये लेखन कार्य में सक्रिय हैं। 2013 से इन्होंने ऑनलाइन लेखन में प्रवेश किया । अनंत यात्रा, ब्लॉग -अनंतयात्रा. कॉम, योर कोट इन व प्रीतिराघवचौहान. कॉम, व हिन्दीस्पीकिंग ट्री पर ये निरन्तर सक्रिय रहती हैं ।इनकी रचनायें चाहे वो कवितायें हों या कहानी लेख हों या विचार सभी के मन को आन्दोलित करने में समर्थ हैं ।किसी नदी की भांति इनकी सृजन क्षमता शनै:शनै: बढ़ती ही जा रही है ।

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