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हिन्दी में अल्पज्ञ ए आई
हिन्दी में अल्पज्ञ ए आई
AI आज के दौर का आधुनिक मानव निर्मित इंसान.. हर क्षेत्र में तेजी से अपने पैर पसार रही है। लेकिन...
उम्र भर जिनको तराशा इंसान बनाकर रात दिन देखते...
2मार्च 2009..एक मुस्लिम बहुल इलाके में छत्तीस वर्ष की आयु में गैस्ट टीचर के रूप में नियुक्ति। सुना था मिनी पाकिस्तान है! किन्तु पहुंचने...
चन्द अशआर
ज़िन्दगी वो किताब है
जिसमें हैं बेहिसाब गुल्म
गज़ल जो ढूंढ लेता है
बस वही है सुखनवर
धूप उतरती है पेड़ों से
चाँदनी बन कर
जैसे उतरा हो कोई...
हो जाओ तैयार साथियों
हो जाओ तैयार साथियों
फिर से सब एक बार
कमर कसो फोर एस हेतु
शिक्षा को दो विस्तार
शिक्षा आज हमें देनी है
पूर्ण समझ के साथ
स्वास्थ्य, स्किल, स्पोर्ट्स
मिला...
मेरे घर में कोई न कोना?
मेरे घर में कोई न कोना
दीवारों की गिनती बोल
तीजी मंजिल बना तिकोना
छत्तीस खिड़की घन बेडौल
कहे दुलारी हँसकर भैया
रामलली का डिब्बा गोल
जितनी नाली जितने...
आज का विचार
"आस्था का सूर्य
उदय होते ही जग
प्रकृति की हर शय
खूबसूरत नज़र आती है।"
उस द्वार के पार
उस द्वार के पार
रह जाएंगे
सारे वहम्
सारे अहम्
संग्रह सभी विचारों के
सब गठरियाँ
सब ठठरियाँ
पत्थर सभी
मजारों के
उस द्वार के पार
रह जाायेंगे .. प्रीति राघव चौहान ।