कुछ अशआर.. ए..दिल

Vatan ke liye

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मैं अपने काम को निष्ठा से करती आई हूँ

मुझे परवाह नहीं वो राजा हैं या औरंगजेब

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बेहतर है हम अपने काम में

 ईमान कायम रखें

दुनिया की कोई अदालत हमें

 डिगा सकती नहीं

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 आपको जाना है तो जाईये

खिलाफ ए मुल्क

मुझे वतन की तुक्का फजीहत

ना चाहिए

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गद्दार कौन जिस रोज़ ये तय होगा

मैं बच्चों को तब तक देशहित सिखा दूँगी

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मैं पंडित ना मुसलमान हूंँ

अतिथि हूँ बस यूँ पशेमान हूँ

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 वतन के वास्ते है गुरेज राजनीति से

 काम है देना शिक्षा वो सदा देंगे यूँ ही

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VIAPritiraghavchauhan
SOURCEPriti Raghav Chauhan
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नाम:प्रीति राघव चौहान शिक्षा :एम. ए. (हिन्दी) बी. एड. एक रचनाकार सदैव अपनी कृतियों के रूप में जीवित रहता है। वह सदैव नित नूतन की खोज में रहता है। तमाम अवरोधों और संघर्षों के बावजूद ये बंजारा पूर्णतः मोक्ष की चाह में निरन्तर प्रयास रत रहता है। ऐसी ही एक रचनाकार प्रीति राघव चौहान मध्यम वर्ग से जुड़ी अनूठी रचनाकार हैं।इन्होंने फर्श से अर्श तक विभिन्न रचनायें लिखीं है ।1989 से ये लेखन कार्य में सक्रिय हैं। 2013 से इन्होंने ऑनलाइन लेखन में प्रवेश किया । अनंत यात्रा, ब्लॉग -अनंतयात्रा. कॉम, योर कोट इन व प्रीतिराघवचौहान. कॉम, व हिन्दीस्पीकिंग ट्री पर ये निरन्तर सक्रिय रहती हैं ।इनकी रचनायें चाहे वो कवितायें हों या कहानी लेख हों या विचार सभी के मन को आन्दोलित करने में समर्थ हैं ।किसी नदी की भांति इनकी सृजन क्षमता शनै:शनै: बढ़ती ही जा रही है ।

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