संजय तुम कहाँ हो

Guest Teachers Protest

0
1125

संजय तुम कहाँ हो

ज्येष्ठ माह

जब सर ढक कर चलना

मजबूरी हो जाती है

उसी ज्येष्ठ माह में

पहले एक विधवा ने

अपना सर मुंडवाया

भीड़ रोई प्रजातंत्र मुस्कुराया

अब हरियाणा में चौबीस

सिरफिरे शिक्षकों ने

अपने सर को आगे बढ़ाया

 पच्चीस चाँद देख

लोक तंत्र जबड़े भींच कसमसाया

अब अतिथि शिक्षक प्रदेश में

घुटमुंडे मिलेंगे

धृतराष्ट्र तो अंधे हैं

संजय तुम कहाँ हो???

कुछ बोलते क्यों नहीं!!!

VIAPritiraghavchauhan
SOURCEPritiraghavchauhan
SHARE
Previous articleदेखें हैं वो भी जमाने
Next articleमाँ मैं आ गई
नाम:प्रीति राघव चौहान शिक्षा :एम. ए. (हिन्दी) बी. एड. एक रचनाकार सदैव अपनी कृतियों के रूप में जीवित रहता है। वह सदैव नित नूतन की खोज में रहता है। तमाम अवरोधों और संघर्षों के बावजूद ये बंजारा पूर्णतः मोक्ष की चाह में निरन्तर प्रयास रत रहता है। ऐसी ही एक रचनाकार प्रीति राघव चौहान मध्यम वर्ग से जुड़ी अनूठी रचनाकार हैं।इन्होंने फर्श से अर्श तक विभिन्न रचनायें लिखीं है ।1989 से ये लेखन कार्य में सक्रिय हैं। 2013 से इन्होंने ऑनलाइन लेखन में प्रवेश किया । अनंत यात्रा, ब्लॉग -अनंतयात्रा. कॉम, योर कोट इन व प्रीतिराघवचौहान. कॉम, व हिन्दीस्पीकिंग ट्री पर ये निरन्तर सक्रिय रहती हैं ।इनकी रचनायें चाहे वो कवितायें हों या कहानी लेख हों या विचार सभी के मन को आन्दोलित करने में समर्थ हैं ।किसी नदी की भांति इनकी सृजन क्षमता शनै:शनै: बढ़ती ही जा रही है ।

LEAVE A REPLY