निपुण भारत के अन्तर्गत चल रहा मूलभूत साक्षरता व संख्या ज्ञान मिशन ने अब सही मायने में प्रगति पथ पर रफ्तार पकड़ रहा है। बच्चे दक्ष हो रहे हैं वह भी खेल खेल में..ये एक क्रांतिकारी परिवर्तन है! एक दो रोज में इसका प्रभाव दिखाई नहीं देने वाला। दूर से देखने पर शिक्षक व प्राथमिक कक्षाओं के बच्चे खेलते, समूहों में बातें करते, स्मार्ट टीवी, फोन पर पहेलियाँ हल करते, कॉपियों को रंगते, स्कूल को बालिश्तों में नापते, सड़कों से रैपर उठाकर पढ़ते, पेड़ों के चारों ओर किलकारियाँ करते, मिट्टी के लौंदो से खिलौने बनाते, रामलीला करते, कामिक्स पढ़ते! नाटक करते, गीत गाते नजर आएंगे। लगेगा, ये क्या? बच्चे फ़ालतू कामों में उलझे हैं और गुरु जी देखकर मुस्कुरा रहें हैं। देखने सुनने में अजीब लगेगा लेकिन बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिये भारत सरकार की यह नई शिक्षा नीति के तहत आई यह योजना मेरे देश के बच्चों को शुरुआत से ही एक जिम्मेदार व निपुण नागरिक बनाने में मील का पत्थर साबित होगी।
इसकी एक झलक नूँह जिले की स्कूल प्रबंधन समिति के सदस्यों से मिलने आईं शिक्षा मंत्री श्रीमती सीमा त्रिखा जी के आगमन पर देखने को मिली। आसमान में घनघोर घटाएँ छाईं थीं। रात भर हुई बारिश ने पूर्व नियोजित निपुण स्टॉल को आडिटोरियम की गैलरी में सिमटने को मजबूर होना पड़ा। बच्चों व उनके शिक्षकों ने जाने कितनी तैयारियाँ की थीं। किंतु सभी प्रोजेक्ट सिमटे सिकुड़े से एक के ऊपर एक जमा हो गए। रात भर आला अधिकारियों के माथे पर चिंता की लकीरें बढ़ती रहीं।
मंत्री जी के आगमन से ठीक पहले आधा घंटे पहले तेज चमक के साथ सूरज जी पधारे।तभी मंत्री महोदया का शुभागमन हुआ। डीईओ श्रीमान परमजीत चहल सभी अधिकारियों के संग एन सी सी कैडेट्स व गाईडस ने उनका जोरदार स्वागत किया। बारह भाषाओं में माननीया का सादर अभिवादन किया गया।
इसके बाद एक एक कर वह प्रत्येक निपुण स्टॉल पर गईं। वाह! के भाव उनके चेहरे से सहज ही पढ़े जा सकते थे। एक से बढ़कर एक टी एल एम लिए गुरुजन मंत्री जी से रूबरू होकर भावविभोर हो रहे थे।
इसके बाद देसी खाने के जायके का मजा ले वो नूँह के नल्हड़ मैडिकल कॉलेज के उस विशाल आडिटोरियम की ओर बढ़ गईं जो ऊपर से नीचे तक खचाखच भरा था।
मेवात के प्रत्येक गाँव के विद्यालय की प्रबंधन समिति के अध्यक्ष व विद्यालय मुखिया व प्रधानाचार्य यहाँ मौजूद थे। कुछ चुनिंदा बच्चे भी आए थे।
जोरदार तालियों से आडिटोरियम गूँज उठा।महोदया के सोफे के आगे एक महा निपुण रंगोली बनी थी। रंग बिरंगे रंगों वाली किताबों के बीच निपुण लोगो.. और उसके दोनों ओर पैंसिलें.. रंगोली के सामने बच्चों द्वारा बनाए रंग बिरंगे फूल गमलों में लगे थे। महोदया भी अचरज में रही होंगी इतने बड़े फूल आए कहाँ से। उन्हें क्या मालूम कि ये एक सरकारी स्कूल की कक्षा तीसरी के बच्चों द्वारा बनाए गए हैं। उस बड़े आडिटोरियम के पर्दो और दीवारों पर तरह तरह के चित्र जो बच्चों और शिक्षकों की संयुक्त मेहनत का परिणाम थे नजर आ रहे थे। नूँह के स्वागत का
अंदाज़े बयां निराला है
सच तो ये है यहाँ का
हर शिक्षक आला है
महोदया को एक पौधे व फूलों से नवाज़ा गया। तत्पश्चात स्काउट्स स्कार्फ़ व शॉल पहनाकर सम्मानित किया गया। उनके साथ आए सभी मननीय हस्तियों को भी पौधे, फूल, स्काउट्स स्कार्फ़ व शाल पहनाकर सम्मानित किया गया।
स्वागत वंदन,अभिनंदन के बाद योग की शानदार प्रस्तुति हुई। उसके बाद सीमा त्रिखा जी माईक संभाला।
उन्होंने कहा— प्रदेश के सरकारी विद्यालयों में बच्चों को संस्कारमय व अच्छी शिक्षा प्रदान की जा रही है।शिक्षा से ही बदलेगी नूँह की तस्वीर और होगा इसका सर्वांगीण विकास।
स्कूल प्रबंधन समिति के प्रधानों को न सिर्फ़ उन्होंने स्टेज पर बुलाकर सम्मानित किया वरन् उनकी समस्याओं को सुनकर उनके निराकरण का भी आश्वासन दिया। जब उन्होंने बताया कि हरियाणा सरकार ने अभी हाल ही में साढ़े सात हजार अध्यापकों को नियुक्तियां देकर बड़ा कार्य किया है। जिसमें नूंह जिला कैडर को भी 640 टीजीटी अध्यापक मिले हैं। अभी जून में ही नूंह को 300 पीजीटी तथा इससे पहले एचकेआरएन के तहत 600 टीचर व 500 शिक्षा सहायक स्कूलों में नियुक्त किए गए हैं.. तो हॉल तालियों से गूँज उठा। सरकार निरंतर यहां पर अध्यापकों की कमी को दूर कर रही है, ताकि नूंह जिला के बच्चों को सरकारी स्कूलों में बेहतर शिक्षा मिल सके।उन्होंने कहा कि प्रदेश में करीब 130 स्कूल भवनों का जल्द ही निर्माण किया जाएगा।
सबसे पहले जिले के टॉपर बच्चों को फिर फिर स्टार टीचर्स को व भारत स्काउट एंड गाईड नूँह शाखा की राज्यपाल से पुरस्कृत गाईडस का सम्मान किया गया।
स्वम यही समय है वृक्षारोपण का। सभी एक पेड़ मां के नाम के साथ-साथ बच्चों के नाम का भी लगाएं।
शिक्षा से जीवन सुगम व सुखमय बनता है अतः आज ही अपने बच्चों को विद्यालय में दाखिल कराएँ व जो पढ़ रहें हैं उनकी पूरी जानकारी रखें व उनके स्तर को आगे बढ़ाएँ।
सीमा त्रिखा का है वादा
शिक्षा का सूरज चमकेगा ज्यादा