अब्बू के नाम

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02अप्रैल2018

प्यारे अब्बा जी के नाम

रेवासन, नूंह।

 

मेरे प्यारे अब्बा जी,

अस्सलाम वालेकुम।

 

अल्लाह आपको सलामत रखे। अब्बा जी मैंने अपनी दूसरी कक्षा का इम्तिहान अच्छे नम्बरों से पास कर लिया है। कल मैंने आपको कहते सुना था कि आप मुझे और बाजी को स्कूल पढ़ने नहीं भेजेंगे….! आज मैंने अखबार में छपी एक खबर पढ़ी जिसमें लिखा था कि हमारा नूंह जिला भारत में सबसे पिछड़ा हुआ है यह खबर पढ़कर मुझे बड़ा अचंभा हुआ। जब मैंने इसके बारे में अपनी टीचर जी से पूछा तो उन्होंने देश में हमारे पिछड़े होने के कुछ कारण बताएं …..

1. यहां शिक्षा का अभाव है। बच्चों के माता-पिता बच्चों की पढ़ाई रुकवा लेते हैं।

2. उन्हें छोटे-छोटे कामों में लगा देते हैं.. चाहे वह लड़कियों का घर के काम में हाथ बंटाना हो या घर में बच्चों को संभालना।

3. हम अपनी थोड़ी सी जमीन में गेहूं काटने में पूरा महीना निकाल देते हैं। पूरे वैशाख बच्चे पढ़ने नहीं आते।

4. रमज़ान के महीने तो बच्चे मस्जिद के साथ स्कूल की भी छुट्टी कर लेते हैं।

5. बहुत से पद रिक्त पड़े हैं, उसका कारण यही है कि यहां के पिछड़ेपन के कारण बाहर के लोग यहां आना नहीं चाहते और यहां वाले बच्चे पढ़ कर यहां से पलायन कर जाते हैं आप ही बताइए अब्बा जी क्या शिक्षा के अभाव में हमारा जिला आगे बढ़ पाएगा?

विद्यालय में सभी अध्यापक जी जान से लगे रहते हैं परंतु बच्चे खेतों में ज्यादा रहते हैं और कुछ नहीं तो घर में या घर के आगे खेलते रहते हैं और माता पिता उन्हें खेलते देख खुश होते रहते हैं। आप लोगों को क्यों नहीं लगता कि जाहिल होना हमारे पिछड़ेपन का एक बड़ा कारण है। बहुत हुआ अब चूल्हा चौका अब्बू दो बस अब एक मौका। मुझको भी पढ़ने दो.. आगे अब बढ़ने दो। मैं जाहिल रह जाऊँगी तो आगे किसे बढाऊंगी। वो समाज कभी तरक्की नहीं कर सकता जहां की औरतें अनपढ़ हों। यदि हम नहीं पढ़े तो हमें शिक्षा के महत्व का अंदाजा कैसे होगा अपनी आंखों पर पट्टी बांधकर हम दुनिया की मुश्किलों का मुकाबला कैसे कर सकते हैं अब्बू??? अब मत रोको, हमें स्कूल जाने दो। चाहे कुछ भी हो इस बरस हमें अपने जिले को पिछड़ेपन के कलंक से उबारना है। आप हमारा साथ दोगे ना अब्बू……

आपकी अपनी

शाहिना

 

 

 

VIAPriti Raghav Chauhan
SOURCEPriti Raghav Chauhan
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नाम:प्रीति राघव चौहान शिक्षा :एम. ए. (हिन्दी) बी. एड. एक रचनाकार सदैव अपनी कृतियों के रूप में जीवित रहता है। वह सदैव नित नूतन की खोज में रहता है। तमाम अवरोधों और संघर्षों के बावजूद ये बंजारा पूर्णतः मोक्ष की चाह में निरन्तर प्रयास रत रहता है। ऐसी ही एक रचनाकार प्रीति राघव चौहान मध्यम वर्ग से जुड़ी अनूठी रचनाकार हैं।इन्होंने फर्श से अर्श तक विभिन्न रचनायें लिखीं है ।1989 से ये लेखन कार्य में सक्रिय हैं। 2013 से इन्होंने ऑनलाइन लेखन में प्रवेश किया । अनंत यात्रा, ब्लॉग -अनंतयात्रा. कॉम, योर कोट इन व प्रीतिराघवचौहान. कॉम, व हिन्दीस्पीकिंग ट्री पर ये निरन्तर सक्रिय रहती हैं ।इनकी रचनायें चाहे वो कवितायें हों या कहानी लेख हों या विचार सभी के मन को आन्दोलित करने में समर्थ हैं ।किसी नदी की भांति इनकी सृजन क्षमता शनै:शनै: बढ़ती ही जा रही है ।

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