इक सदी का सफर
चन्द लम्हों में है
इस कदर तेज रौ
हमने देखी अभी
हँसते गाते कदम
जो न ठहरे कभी
वो हैं बेजां से बुत
हमने देखे अभी
सहमे सहमे सहन
सहमे दिन रात हैं
आँसुओं की नदी
हमने देखी अभी
कौन किससे कहे
अपना कांधा तो दो
खाली हर घर दरी
हमने देखी अभी
ढेर लाशों के
अंतिम विदाई बिना
इस कदर बेबसी
हमने देखी अभी
“प्रीति राघव चौहान”
उपरोक्त गीत पर एकमात्र कापीराइट ©प्रीति राघव चौहान का है।