इक सदी का सफर 

चन्द लम्हों में है

इस कदर तेज रौ

हमने देखी अभी 

हँसते गाते कदम 

जो न ठहरे कभी

वो हैं बेजां से बुत

हमने देखे अभी

सहमे सहमे सहन

सहमे दिन रात हैं

आँसुओं की नदी

हमने देखी अभी 

कौन किससे कहे

अपना कांधा तो दो

खाली हर घर दरी

हमने देखी अभी 

ढेर लाशों के 

अंतिम विदाई बिना 

इस कदर बेबसी 

हमने देखी अभी

“प्रीति राघव चौहान” 

उपरोक्त गीत पर एकमात्र कापीराइट ©प्रीति राघव चौहान का है।

 

VIAPritiRaghavChauhan
SOURCEप्रीति राघव चौहान
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नाम:प्रीति राघव चौहान शिक्षा :एम. ए. (हिन्दी) बी. एड. एक रचनाकार सदैव अपनी कृतियों के रूप में जीवित रहता है। वह सदैव नित नूतन की खोज में रहता है। तमाम अवरोधों और संघर्षों के बावजूद ये बंजारा पूर्णतः मोक्ष की चाह में निरन्तर प्रयास रत रहता है। ऐसी ही एक रचनाकार प्रीति राघव चौहान मध्यम वर्ग से जुड़ी अनूठी रचनाकार हैं।इन्होंने फर्श से अर्श तक विभिन्न रचनायें लिखीं है ।1989 से ये लेखन कार्य में सक्रिय हैं। 2013 से इन्होंने ऑनलाइन लेखन में प्रवेश किया । अनंत यात्रा, ब्लॉग -अनंतयात्रा. कॉम, योर कोट इन व प्रीतिराघवचौहान. कॉम, व हिन्दीस्पीकिंग ट्री पर ये निरन्तर सक्रिय रहती हैं ।इनकी रचनायें चाहे वो कवितायें हों या कहानी लेख हों या विचार सभी के मन को आन्दोलित करने में समर्थ हैं ।किसी नदी की भांति इनकी सृजन क्षमता शनै:शनै: बढ़ती ही जा रही है ।

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