दस्तक

  • दस्तक जीवन की /FOG ON THE MARS
    FOG ON THE MARS
  • जीवन की

दस्तक जीवन की 

मजारों पर

 अक्सर अनसुनी हो जाती है 

खुशनुमा दिनों के कई शमा 

हर रात पिघल जाती है 

मुरझा जाते हैं गुल

 सूखती स्मृति से 

जीती-जागती/ प्रीति राघव चौहान 

कुछ जोड़ने की चाह लिए

आई पदचापें 

वक्त को टूटे पत्तों सा रौंद जाती हैं 

दस्तक जीवन की मजारों पर 

अक्सर अनसुनी हो जाती है

 पहले पहल मजारों पर लोग 

रोज दर रोज यादों की 

शमा जलाने आते हैं 

गुल चढ़ाने आते हैं 

धीरे-धीरे गुल-ओ- शमा

घर भूल जाते हैं

फिर कब्र से जीस्त की

 दूरियां बढ़ जाती हैं 

जीस्त की ढेरों

मजबूरियां बढ़ जाती है

और मज़ारे उजड़े दयारों में

बदल जाती हैं

उड़ा के ख़ाक बहारों की

खिल्लियाँ उड़ाती हैं

दस्तक जीवन की मजारों पर 

अक्सर अनसुनी हो जाती है/प्रीति राघव चौहान 

VIAप्रीति राघव चौहान
SOURCEPritiraghavchauhan
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नाम:प्रीति राघव चौहान शिक्षा :एम. ए. (हिन्दी) बी. एड. एक रचनाकार सदैव अपनी कृतियों के रूप में जीवित रहता है। वह सदैव नित नूतन की खोज में रहता है। तमाम अवरोधों और संघर्षों के बावजूद ये बंजारा पूर्णतः मोक्ष की चाह में निरन्तर प्रयास रत रहता है। ऐसी ही एक रचनाकार प्रीति राघव चौहान मध्यम वर्ग से जुड़ी अनूठी रचनाकार हैं।इन्होंने फर्श से अर्श तक विभिन्न रचनायें लिखीं है ।1989 से ये लेखन कार्य में सक्रिय हैं। 2013 से इन्होंने ऑनलाइन लेखन में प्रवेश किया । अनंत यात्रा, ब्लॉग -अनंतयात्रा. कॉम, योर कोट इन व प्रीतिराघवचौहान. कॉम, व हिन्दीस्पीकिंग ट्री पर ये निरन्तर सक्रिय रहती हैं ।इनकी रचनायें चाहे वो कवितायें हों या कहानी लेख हों या विचार सभी के मन को आन्दोलित करने में समर्थ हैं ।किसी नदी की भांति इनकी सृजन क्षमता शनै:शनै: बढ़ती ही जा रही है ।

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