नया साल 

ये जो नया साल है

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नया साल 
नया साल

नया साल Priti Raghav Chauhan 

ये जो नया साल है
अब नया सा नहीं लग रहा
दशक दर दशक ये
पाश्चात्यता के रंग में रंग रहा है
ये सर्द शाम दिवाली सी सजधज लिए
खाली जेब सी खलती है!
धनवान नृत्य करते हैं
मजबूरी हाथ मलती है
ये जो नया साल है
ठंड में सिकुड़ा सिमटा सा
जाने किस बात पर इतना इतरा रहा है
कमबख़्त किस उपलब्धि का
जश्न मना रहा है
न बागों में बहार है
न चेहरों पर रौशनी
शायद ये भी अब बुढ़ा रहा है
ये जो नया साल है
अब नया सा नहीं लग रहा…
जरूरी है शुभकामनाएँ स्वीकार करना
प्रतिउत्तर देना उससे भी ज्यादा जरूरी

परन्तु चैत की प्रतीक्षा में
अकुला रहा है मन
ये भी नवसंवतसर को
बारम्बार बुला रहा है
ये जो नया साल है..अब खिजा रहा है

अब नया सा नहीं लग रहा.. प्रीति राघव चौहान

VIAPriti Raghav Chauhan 
SOURCEPritiRaghav Chauhan
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नाम:प्रीति राघव चौहान शिक्षा :एम. ए. (हिन्दी) बी. एड. एक रचनाकार सदैव अपनी कृतियों के रूप में जीवित रहता है। वह सदैव नित नूतन की खोज में रहता है। तमाम अवरोधों और संघर्षों के बावजूद ये बंजारा पूर्णतः मोक्ष की चाह में निरन्तर प्रयास रत रहता है। ऐसी ही एक रचनाकार प्रीति राघव चौहान मध्यम वर्ग से जुड़ी अनूठी रचनाकार हैं।इन्होंने फर्श से अर्श तक विभिन्न रचनायें लिखीं है ।1989 से ये लेखन कार्य में सक्रिय हैं। 2013 से इन्होंने ऑनलाइन लेखन में प्रवेश किया । अनंत यात्रा, ब्लॉग -अनंतयात्रा. कॉम, योर कोट इन व प्रीतिराघवचौहान. कॉम, व हिन्दीस्पीकिंग ट्री पर ये निरन्तर सक्रिय रहती हैं ।इनकी रचनायें चाहे वो कवितायें हों या कहानी लेख हों या विचार सभी के मन को आन्दोलित करने में समर्थ हैं ।किसी नदी की भांति इनकी सृजन क्षमता शनै:शनै: बढ़ती ही जा रही है ।

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