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Ajaadi
आजादी
नादान है वह
नहीं जानती आजादी
आजादी के मायने
अभी उसके डैने छोटे हैं
उसकी उड़ान
हवाओं का रुख नहीं पहचानती
उसे नहीं पता युद्ध और पाकिस्तान में अंतर
क्या जरूरी...
पहाड़ ने कहा जरा रुको
पहाड़ ने कहा
ज़रा रुको
वह कब किसी के रोके रुकी
ठिठककर मुस्कुराई
फिर उठी आसमान की ओर
मिलकर आसमां से
बरस गई हवा
सारे पहाड़ /सारी धरती
छा गई पाताल तक
....
लघुकथा
लघुकथा
नया सवेरा
निधि उम्र के उस पड़ाव पर थीं , जहाँ पहुँच कर व्यक्ति दिशा शून्य हो जाता है। पैंसठ की उम्र और तमाम बीमारियां...
कविताएँ
कविताएं अच्छी हैं
परन्तु कविताएं
कागज़ के सिवा कुछ भी नहीं
यदि उनमें दिशाबोध न हो
और विभीत्स कविताएं तो
कविताओं पर भी दाग हैं
जो किसी सर्फ एक्सेल, ब्लीच...
चाँद
उसे चांद से कम
कुछ नहीं चाहिए
उसे क्या मालूम
चांद पर चट्टानों के सिवा कुछ भी नहीं
उसे क्या मालूम चांद पर परिया नहीं है
नहीं मिलेगी वहां...
विज्ञापन
उपभोक्तावादी संस्कृति/सभ्यता
हर चेहरा एक विज्ञापन
एक दूसरे से आगे बढ़ने की होड़
एक दूसरे को नीचा दिखाने की चाह
हर एक उत्पाद आता नजर
दूसरे की टांग खींचता
प्रतिस्पर्धा...






















