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पहली बारिश
पहली बारिश
सौंधी गंध
रोज बरसात
धुल गये छंद
गुड़हल फूले
चहुँदिस मकरंद
पहली बारिश
सौंधी गंध
धुले घाट
उखड़े बाट
गाड़ी के छींटे...
गिनती
वो आये/औंधे किये गये
लगाये गये ठप्पे/जतन से सफेद
अनपढ़ कामगारों ने गिन डाले सारे
गिनती सीखना
उतना बड़ा काम नहीं था
जितना गिनती को बनाए रखना...
आज शांत बहुत शांत है मन
शांत बहुत शांत है मन आज
अगले कुछ रोज मैं और मेरी
लेखनी होगी
रचेंगे किस्से.....
परियों के ना सही
कासिद की बातें
सक्षम के सफर में
अम्मा का इंतजार
कानून की...
सोशल मीडिया दीमक है
वो सुनेंगे भी
देखेंगे भी
पर कर सकेंगे
कुछ नहीं
वो क्या जाने
सोशल मीडिया
दीमक है..
मीडिया से
भी भयावह
दांत वाला
हाथ वाला
हाथ भी ऐसे
कांधों पे बिठा लें
जी में आये तो
कुर्सी से...
No more jokes on ladies…
मैं औरत हूँ
हर सब्जी में मिल खुश
होना चाहती हूँ
क्या करूँ
उसने हरा जामा पहनाया
लगे अगर किसी को
मेरा क्या कुसूर
मैं भी सोई हुई थी..
अचानक जागरण हुआ
क्या...
माँ मैं आ गई
लो माँ वक्त से पहले ही
चली आई मैं
पर भाई की तरह
ना छकाया
ना रुलाया
ना सताया
ना साज
ना आवाज़
ना ढोल ताशे
ना बनी सबकी सरताज
जो भी आता...
संजय तुम कहाँ हो
संजय तुम कहाँ हो
ज्येष्ठ माह
जब सर ढक कर चलना
मजबूरी हो जाती है
उसी ज्येष्ठ माह में
पहले एक विधवा ने
अपना सर मुंडवाया
भीड़ रोई प्रजातंत्र मुस्कुराया
अब हरियाणा...