हरि के चरण जहाँ हों वहाँ उस पवन पावन धाम पर कौन नहीं जाना चाहेगा भला!विष्णु के इस द्वार पर अपने जीवन में कम से कम दो बार सभी जाते हैं या जाने की इच्छा रखते हैं। कहते हैं घर में ब्याह शादी के उपरांत गंगा नहाने जाना शगुन होता है तो वहीं मृत्योपरांत मृतक की मोक्ष हेतु गंगा में अस्थि-विसर्जन आवश्यक संस्कार है।
कभी नहीं गए तो जाकर देखें.. गंगा बार बार बुलाती है!समय के साथ भारतीय संस्कृति में भी जोश आया है। आज भारतीय न सिर्फ अच्छे- बुरे समय में वरन् बार बार इस भागीरथी की ओर आते हैं। ये सचमुच विकसित भारतवर्ष का प्रतीक है। सड़क और रेल मार्ग इतने सरल और सहज हुए हैं कि पूरब – पश्चिम, उत्तर- दक्षिण प्रत्येक दिशा से लोग खिंचे चले आते हैं। जहाँ पहले घाट कम थे वहाँ आज पूरे हरिद्वार में घाट हैं। आप कहीं भी संगीत की इस सरिता में गोते लगा सकते हैं।
आप भी जा रहें हैं हरि के द्वार पर तो सदा याद रखें एक बात आस्था न हो न जाएँ क्योंकि ये त्रिपथगंगा आपसे कभी कुछ नहीं मांगती, सदैव देवनदी सी कलकल बहती और आपके समस्त संतापों को स्वयं में तिरोहित करती है।
1 आस्था नहीं तो कभी और सही—
यदि आप की आस्था नहीं है विष्णु पदी के पावन सानिध्य में पग पखारने की तो कदापि न जाएँ इस देवनदी के दर्शन हेतु। 2.ऑनलाइन बुकिंग न करें —
गंगाजी जाने पर ऑनलाइन कुछ भी बुक न करें। अपनी आँखों से देखें और तय करें आप कहाँ ठहरना चाहेंगे.. ऑनलाइन धोखा हो सकता है। यहाँ आकर आप पाएंगे कि आप ऑनलाइन ठगे गए। यहाँ धर्मशालाएँ आपके तीन और चार सितारा होटलों से से कहीं बेहतर हैं। लेकिन अभिजात वर्ग के मन में बैठा है कि अधिक पैसे देकर हम ज्यादा सुविधाएं पाएंगे!सच तो ये है कि कभी भी आएँ अपने अनुकूल कोई स्थान देखें और रुकें, ऐसा करते हुए आप ऑनलाइन देख सकते हैं कि ठगे तो नहीं गए। ऑनलाइन सुंदर फोटो देखकर दिग्भ्रमित न हों।
3.सवारी और साधन—
ई-रिक्शा का किराया बीस रुपये है,उससे अधिक न दें यदि आप ऐसा करते हैं तो आप उस ई-रिक्शा वाले को नियमविरुद्ध जाने के लिए उकसाते हो जो देश में अराजकता व भ्रष्टाचार को बढ़ावा देते हैं। कम दूरी पर यथा एक दो किलोमीटर जाने के लिए दस रुपये भी दे सकते हैं।
4.सवारी अपने सामान की स्वयं जिम्मेदार है—घाट पर अपना सामान किसी दूसरे के भरोसे न रखें। आप आस्तिक हैं। आप सरल ह्रदय हैं इसका ये अर्थ कदापि नहीं इस धरती पर रहने वाला हर प्राणी सह्रदय व सत्चरित्र है।वो चोरी चकारी करने वाला भी हो सकता है या कोई कामचोर भी.. कमकस व हरामखोर इंसान ऐसी जगह पर ज्यादा मिलते हैंअतः सदैव विवेक से कार्य लें।
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5. भीख को बढ़ावा न दें—गंगा जी आएँ हैं तो कृपया भीख की परिपाटी को आगे न बढ़ाएँ। देखकर हैरत हुई एक लम्बे चौड़े क्षैत्र में कुछ न करने वालों की कतार थी। आपकी आस्था इनका कमकशी का साधन न बने याद रखें! अभी कुछ समय पहले डलहौजी जाना हुआ तो वहाँ के हालात के बारे में किसी से पूछने पर ज्ञात हुआ कि वहाँ कोई भिखारी नहीं है। वो भी भारत का हिस्सा है.. श्रध्दा है तो विद्यालय बनाओ, हस्पताल बनाओ, पेड़ लगाओ, प्याऊ बनाओ, किताब दो, कॉपी दो, आजीविका के साधन दो.. भीख मत दो।