सुनो गुनगुन

ये जो तुम्हारे पैरों तले

बेरंग धूसर माटी है

बचपन इसमें ही मिल

हुआ करता है उर्वर

आकाश के नील पटल पर

रंगने से पहले सतरंगी इंद्रधनुष

भरो रंग धरा पर

इस छोर से उस छोर तक

हरित नवल

करो प्रयत्न मन ले उज्ज्वल

देखना इक रोज

सीढ़ियाँ बन जाएँ गी

हरित मखमली

आकाश तक

निश्चित ही रच सकोगे

उस रोज तुम इन पर चढ़

सतरंगी इंद्रधनुष ..

“प्रीति राघव चौहान “

उपरोक्त कविता पर एकमात्र काॅपीराईट प्रीति राघव चौहान का है ।

VIAPriti Raghav Chauhan
SOURCEPriti Raghav Chauhan
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नाम:प्रीति राघव चौहान शिक्षा :एम. ए. (हिन्दी) बी. एड. एक रचनाकार सदैव अपनी कृतियों के रूप में जीवित रहता है। वह सदैव नित नूतन की खोज में रहता है। तमाम अवरोधों और संघर्षों के बावजूद ये बंजारा पूर्णतः मोक्ष की चाह में निरन्तर प्रयास रत रहता है। ऐसी ही एक रचनाकार प्रीति राघव चौहान मध्यम वर्ग से जुड़ी अनूठी रचनाकार हैं।इन्होंने फर्श से अर्श तक विभिन्न रचनायें लिखीं है ।1989 से ये लेखन कार्य में सक्रिय हैं। 2013 से इन्होंने ऑनलाइन लेखन में प्रवेश किया । अनंत यात्रा, ब्लॉग -अनंतयात्रा. कॉम, योर कोट इन व प्रीतिराघवचौहान. कॉम, व हिन्दीस्पीकिंग ट्री पर ये निरन्तर सक्रिय रहती हैं ।इनकी रचनायें चाहे वो कवितायें हों या कहानी लेख हों या विचार सभी के मन को आन्दोलित करने में समर्थ हैं ।किसी नदी की भांति इनकी सृजन क्षमता शनै:शनै: बढ़ती ही जा रही है ।

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