हे मनु पुत्र तुम सृष्टि रचयिता
बनो इसमें संदेह नहीं
धरा पुत्र कहलाओगे
यह इस धारिणि के मूक वचन
मंगल विजय करो
या बुलैट गति से घूमों तुम
बम बनाओ दुनिया भर के
या सागरमाथा छू लो तुम
सकल सृष्टि से होकर बेकल
तुम ढूंढोगे भू का स्पंदन
धरापुत्र कहलाओगे ये
इस धरिणी के मूक वचन
गति में लय है माना
रोमांचकारी ऊंचाई है
विस्मयकारी लहरों की ताल
तुम्हें तनिक लुभा ना पाई है
नंगे पैरों भू पर चलकर
करोगे भू का ही वंदन
धरा पुत्र कहलाओगे
इस धारिणि के मूक वचन
माना मेरे सुत तुम मुझसे
ना किसी कोण से मिलते हो
पुरुषार्थ तुम्हें प्रिय है
धैर्य मही सा रखते हो
मानो ना मानो मनु पुत्र
तुम होगे मुझ में ही भग्न
और धरापुत्र कहलाओगे
यह इस धारिणी के मूक वचन
मनु पुत्र
हे मनु पुत्र तुम सृष्टि रचियता बनों इसमें
 



















