मनु पुत्र

हे मनु पुत्र तुम सृष्टि रचियता बनों इसमें

0
1081

हे मनु पुत्र तुम सृष्टि रचयिता

बनो इसमें संदेह नहीं

धरा पुत्र कहलाओगे

यह इस धारिणि के मूक वचन

मंगल विजय करो

या बुलैट गति से घूमों  तुम

बम बनाओ दुनिया भर के

या सागरमाथा छू लो तुम

सकल सृष्टि से होकर बेकल

तुम ढूंढोगे भू का  स्पंदन

धरापुत्र  कहलाओगे  ये

इस धरिणी के मूक वचन

गति में लय है माना

रोमांचकारी ऊंचाई है

विस्मयकारी लहरों की ताल

तुम्हें तनिक लुभा ना पाई है

नंगे पैरों भू पर चलकर

करोगे भू का ही वंदन

धरा पुत्र कहलाओगे

इस धारिणि  के मूक वचन

माना  मेरे सुत तुम मुझसे

ना किसी कोण से मिलते हो

पुरुषार्थ तुम्हें प्रिय है

धैर्य मही सा रखते हो

मानो ना मानो मनु पुत्र

तुम होगे मुझ में ही भग्न

और धरापुत्र कहलाओगे

यह इस धारिणी के मूक वचन

VIAPritiraghavchauhan
SOURCEPritiraghavchauhan
SHARE
Previous articleBiometric attendance
Next articleवर्जित है
नाम:प्रीति राघव चौहान शिक्षा :एम. ए. (हिन्दी) बी. एड. एक रचनाकार सदैव अपनी कृतियों के रूप में जीवित रहता है। वह सदैव नित नूतन की खोज में रहता है। तमाम अवरोधों और संघर्षों के बावजूद ये बंजारा पूर्णतः मोक्ष की चाह में निरन्तर प्रयास रत रहता है। ऐसी ही एक रचनाकार प्रीति राघव चौहान मध्यम वर्ग से जुड़ी अनूठी रचनाकार हैं।इन्होंने फर्श से अर्श तक विभिन्न रचनायें लिखीं है ।1989 से ये लेखन कार्य में सक्रिय हैं। 2013 से इन्होंने ऑनलाइन लेखन में प्रवेश किया । अनंत यात्रा, ब्लॉग -अनंतयात्रा. कॉम, योर कोट इन व प्रीतिराघवचौहान. कॉम, व हिन्दीस्पीकिंग ट्री पर ये निरन्तर सक्रिय रहती हैं ।इनकी रचनायें चाहे वो कवितायें हों या कहानी लेख हों या विचार सभी के मन को आन्दोलित करने में समर्थ हैं ।किसी नदी की भांति इनकी सृजन क्षमता शनै:शनै: बढ़ती ही जा रही है ।

LEAVE A REPLY