गंगा के तट पर काशी बसी।
संस्कारों का दीप जला,
ज्ञान की गंगा यहाँ बही।
हर गली में इतिहास गूँजता,
हर कोने में हैं वेद बसे।
संतों के चरणों की रज में,
जीवन का सार बहे।
माँ गंगा की लहरों का संग,
देखे हैं कितने अद्भुत रंग।
हर घाट की नई कहानी है
जीवन और मुक्ति प्रसंग ।
ज्ञान की देवी यहाँ मुस्काए,
सारनाथ में बुद्ध उपदेश सुनाए।
जहाँ धर्मचक्र ने गति पाई,
वही भूमि हमें सत्य दिखाए।
काशी न केवल एक शहर है,
यह समय का शाश्वत पहर है।
यहाँ जन्म से लेकर मृत्यु तक,
हर क्षण में अध्यात्म की लहर है।
चाहूँगी सभी काशी में
एक बार जरूर आएँ
जीवन को फिर से जाने
एक नई पहचान दिलाएँ