कुलच्छनी(लघुकथा)

क्या वो सचमुच कुलच्छनी थी?

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  1. कुलच्छनी

वो पिछले पच्चीस वर्षों से उसे घर लौटने को कहते हुए थक चुकी थी ।अजब यायावरी ठानी थी उसने जिंदगी में एक हादसा क्या हुआ घर द्वार सब छोड़ दिया ।पंतालीस की होने पर भी कुँवरी रही ।कभी कोई नौकरी तो कभी नहीं ……। माँ के कुमाय काल का ग्रास बनने पर भी मैं नहीं। वही मिताली आज अपने पिता की मृत्यु की सूचना मिलने पर अपने सभी ताम-झाम सहित वापस लौट आई। पास- पड़ोस वाले सभी आज उस पाशाण शिला को हैरानी से देख रहे थे ।उन्हें लगा था कि वो कुलच्छनी अब सबकुछ बेच-बाच कर निकल जाएगी ।परंतु उसके उलट एक महीने बाद उन्होंने गंगाधर यादव के नाम पट्टिका की जगह सुचेता वृद्धाश्रम (केवल निराश्रित वृद्ध) को सौंप दिया। महिलाओं के लिए) का बोर्ड टंगे देखा तो हैरान रह गए। काया मिताली सचमुच यायावर थी, स्वभ्रमित थी ??????

                           …………. प्रीति राघव चौहान

 

 

VIAPriti Raghav Chauhan
SOURCEप्रीति राघव चौहान
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नाम:प्रीति राघव चौहान शिक्षा :एम. ए. (हिन्दी) बी. एड. एक रचनाकार सदैव अपनी कृतियों के रूप में जीवित रहता है। वह सदैव नित नूतन की खोज में रहता है। तमाम अवरोधों और संघर्षों के बावजूद ये बंजारा पूर्णतः मोक्ष की चाह में निरन्तर प्रयास रत रहता है। ऐसी ही एक रचनाकार प्रीति राघव चौहान मध्यम वर्ग से जुड़ी अनूठी रचनाकार हैं।इन्होंने फर्श से अर्श तक विभिन्न रचनायें लिखीं है ।1989 से ये लेखन कार्य में सक्रिय हैं। 2013 से इन्होंने ऑनलाइन लेखन में प्रवेश किया । अनंत यात्रा, ब्लॉग -अनंतयात्रा. कॉम, योर कोट इन व प्रीतिराघवचौहान. कॉम, व हिन्दीस्पीकिंग ट्री पर ये निरन्तर सक्रिय रहती हैं ।इनकी रचनायें चाहे वो कवितायें हों या कहानी लेख हों या विचार सभी के मन को आन्दोलित करने में समर्थ हैं ।किसी नदी की भांति इनकी सृजन क्षमता शनै:शनै: बढ़ती ही जा रही है ।

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