- कुलच्छनी
वो पिछले पच्चीस वर्षों से उसे घर लौटने को कहते हुए थक चुकी थी ।अजब यायावरी ठानी थी उसने जिंदगी में एक हादसा क्या हुआ घर द्वार सब छोड़ दिया ।पंतालीस की होने पर भी कुँवरी रही ।कभी कोई नौकरी तो कभी नहीं ……। माँ के कुमाय काल का ग्रास बनने पर भी मैं नहीं। वही मिताली आज अपने पिता की मृत्यु की सूचना मिलने पर अपने सभी ताम-झाम सहित वापस लौट आई। पास- पड़ोस वाले सभी आज उस पाशाण शिला को हैरानी से देख रहे थे ।उन्हें लगा था कि वो कुलच्छनी अब सबकुछ बेच-बाच कर निकल जाएगी ।परंतु उसके उलट एक महीने बाद उन्होंने गंगाधर यादव के नाम पट्टिका की जगह सुचेता वृद्धाश्रम (केवल निराश्रित वृद्ध) को सौंप दिया। महिलाओं के लिए) का बोर्ड टंगे देखा तो हैरान रह गए। काया मिताली सचमुच यायावर थी, स्वभ्रमित थी ??????
…………. प्रीति राघव चौहान