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Tag: pritiraghavchauhan.comनई कविता
नई कविता
कब तृण हारा तू बोल जरा
pritiraghavchauhan.com
-
June 7, 2021
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खाली झंझावातों से अंधियारी काली रातों से अंबर डोले बेशक डोले कब तृण हारा तू बोल जरा कदम ताल के तले सही ओस भाल से ढले सही फूट पड़ा चट्टानों...
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