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आज का विचार
मैं कब किस के काम आया
मेरा जनाज़ा बताएगा
कांधिये कितने थे पीछे
और कैसी जमात थी
दस्तक
दस्तक जीवन की मजारों पर
अक्सर अनसुनी हो जाती हैं
खुशनुमा दिनों की शमा
हर रात पिघल जाती है
मुरझा जाते हैं गुल सूखती स्मृति से
जीती जागती कुछ...
माना के साल अभी नया नया सा है
माना कि साल अभी नया नया सा है
ये और बात कि चहूँओर बस धुँआ सा है
मेरा दर मेरी खिड़की बंद है बेज़ा नहीं
बाहर सर्द...