कभी नफरतों के चलते

कभी नफरतों के चलते मैं हो गया किसी का कभी चाहतों ने बढ़कर बुला लिया मुझे कभी सरेराह यूं ही साथ नहीं छूटा कभी दूर जा कर राह ने रुला दिया...

Do guz jamin

अब कोई सांझ नहीं अब ना आसमां कोई ज़मी पर रहने वालों को दो गज जमीन  काफी है

Kabhi Zindagi se Milo

कभी ज़िन्दगी से मिलो जो तुम उसे इत्तला करना ज़रूर कभी मैं खफा कभी वो खफा कितनी दफा मरना हुज़ूर जो सुबह मिली तो थी धानी सी सरे शाम...

मौन

तोते टिटियाते नहीं आलसी पग भी दिन भर पड़ा रहता है अपने छोटे टोकरे में मछलियाँ तो पहले ही बेजुबान नाचती हैं इधर से उधर घर में सभी...

टॉफ़ी नहीं कॉपी दो

टॉफ़ी देकर खुश करते हो मुझको कॉपी लाकर दो बहुत हुये अब उतरे कपड़े मुझको वर्दी लाकर दो हाथ गाड़ियाँ  बहुत चलाई बालू महल बनाये खूब ढक्कन डिबिया जोड़ लिये...

चलो आज तितलियों का जिक्र करें कैप्शन जोड़ें

चलो आज तितलियों का ज़िक्र करें ज़िन्दगी वो भी हुआ करती थी सपने में टॉफी कहानियों में जलेबी के पेड़ दिन भर उछलकूद गुड़िया गुड्डों...

पीपल देव के शनि

चलो चलें एक नए सफर पर कहते नई कहानी एक ना दादी ना नानी जिसमें ना कोई रात की रानी देख ढलता सूरज चढ़ती रातें हर दिन ढले जवानी...

जन्म दिवस पर खाना

जन्मदिन है उनका कहो क्या पकायें ख़्याली पुलावों की प्लेटें सजाये दिवस तीसवाँ आखिर का महीना बातों के हम कितने लच्छे बनाये लगा ली हैं सीढ़ी सुधाकर तक...

माना के साल अभी नया नया सा है

माना कि साल अभी नया नया सा है ये और बात कि चहूँओर बस धुँआ सा है मेरा दर मेरी खिड़की बंद है बेज़ा नहीं बाहर सर्द...