नम आँखें मुस्कुराईं

दो परियाँ हौले हौले उतर जमीन पर आईं नम आँखें माँ की देख मुस्कुराईं मुस्कुराहट कह रही थी माँ दुखी तू हो ना हम जहाँ करेंगे रोशन आँचल को यूँ भिगो ना इक...
FOG ON THE MARS

सीढ़ी

सीढ़ी “मुट्ठी में रखना, छूट दी… तो सर पर चढ़ कर नाचेगी!”, अहिल्या ने हाथ नचाते नचाते हुए श्रीधर से कहा। “चिंता मत कर अम्मा, मैं...

वो चिड़िया

अब वो चिड़िया नहीं आती जो आती थी कल तलक शीशे के दर पर जो पटकती थी सर आइने से घर पर अब वो चिड़िया नहीं आती उसे अहसास है...

अमीना यदा कदा मुस्कुराती है

अमीना यदा कदा मुस्कुराती है आज अमीना का दिन शुरु हुआ प्रार्थना से लेकर हाथ में जादू का बक्सा जिसे खोने का डर लिए देख रही है वो सपने अविरल बंद...

अरण्य-रोदन (भाग – 1 कठौती)

अरण्य-रोदन भाग – 1 कठौती रोज की भांति सड़क आज भी सीधी सपाट थी। कुछ भी ऐसा देखने लायक नहीं था जो किसी राहगीर...

आज का विचार

धैर्य बनाए रखें... जैसे अच्छा वक़्त नहीं रहा बुरा भी नहीं रहेगा। 

अरण्यरोदन

अरण्यरोदन आज से एक नया धारावाहिक उपन्यास शुरू करने जा रहे हैं। जिसका शीर्षक है- "अरण्य - रोदन” अर्थात जंगल में रोना या व्यर्थ की...

आज का विचार

जब राह न सूझे तो विश्राम कर... 

माँ

तुम ही कुमारी तुम ही किशोरी तुम ही युवती तुम ही हो यति तुम ही दुर्गा तुम ही शक्ति तुम ही ब्रह्म हो तुम...

Aaj ka vichar

जहालत इक सिफर है  निकलना है इससे  चलो मिलकर इन   स्याह तीलों को मिटाएँ