रंगीली ऋतुएँ
रंगीली ऋतुएँ

 

रंगीली ऋतुओं के रंग 

कक्षा पहली के संग 

नाक सभी की 

लाल हो गई

 लाल हो गए गाल

मैं हूं सर्दी रानी भैया

 देखो मेरा कमाल

 जब मैं आऊँ

 सारे पत्ते गिर जाते हैं 

नदी पहाड़ जंगल

कोहरे में छिप जाते हैं 

मैं हूँ नटखट गर्मी 

मेरी बात निराली 

शहर गाँव रस्ते सब

देख मुझे हों खाली

क्या है तेरा कमाल 

पसीना में लाती हूँ 

कुल्फी और शरबत से 

सबको बहलाती हूँ

 मैं हूँ वर्षा देख

मझे बच्चे मुस्काएँ

पुए पकौड़े देखो

 चपर चपर कर खाएं

बिन वर्षा गर्मी में भी 

तो कुछ ना भाए

 छम छम नाचे मस्ती में 

और नाव चलाएँ

मैं ऋतुराज वसंत

सभी पर मैं हूं भारी

मेरे आते ही फूलों

से भर गईं क्यारी

तुममें है वो बात कहां 

जो मुझ में सारी

मेरे आने से आ 

जाती मस्ती सारी.. प्रीति राघव चौहान 

 

 

 

 

VIAPriti Raghav Chauhan
SOURCEप्रीति राघव चौहान
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नाम:प्रीति राघव चौहान शिक्षा :एम. ए. (हिन्दी) बी. एड. एक रचनाकार सदैव अपनी कृतियों के रूप में जीवित रहता है। वह सदैव नित नूतन की खोज में रहता है। तमाम अवरोधों और संघर्षों के बावजूद ये बंजारा पूर्णतः मोक्ष की चाह में निरन्तर प्रयास रत रहता है। ऐसी ही एक रचनाकार प्रीति राघव चौहान मध्यम वर्ग से जुड़ी अनूठी रचनाकार हैं।इन्होंने फर्श से अर्श तक विभिन्न रचनायें लिखीं है ।1989 से ये लेखन कार्य में सक्रिय हैं। 2013 से इन्होंने ऑनलाइन लेखन में प्रवेश किया । अनंत यात्रा, ब्लॉग -अनंतयात्रा. कॉम, योर कोट इन व प्रीतिराघवचौहान. कॉम, व हिन्दीस्पीकिंग ट्री पर ये निरन्तर सक्रिय रहती हैं ।इनकी रचनायें चाहे वो कवितायें हों या कहानी लेख हों या विचार सभी के मन को आन्दोलित करने में समर्थ हैं ।किसी नदी की भांति इनकी सृजन क्षमता शनै:शनै: बढ़ती ही जा रही है ।

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