रंगीली ऋतुओं के रंग
कक्षा पहली के संग
नाक सभी की
लाल हो गई
लाल हो गए गाल
मैं हूं सर्दी रानी भैया
देखो मेरा कमाल
जब मैं आऊँ
सारे पत्ते गिर जाते हैं
नदी पहाड़ जंगल
कोहरे में छिप जाते हैं
मैं हूँ नटखट गर्मी
मेरी बात निराली
शहर गाँव रस्ते सब
देख मुझे हों खाली
क्या है तेरा कमाल
पसीना में लाती हूँ
कुल्फी और शरबत से
सबको बहलाती हूँ
मैं हूँ वर्षा देख
मझे बच्चे मुस्काएँ
पुए पकौड़े देखो
चपर चपर कर खाएं
बिन वर्षा गर्मी में भी
तो कुछ ना भाए
छम छम नाचे मस्ती में
और नाव चलाएँ
मैं ऋतुराज वसंत
सभी पर मैं हूं भारी
मेरे आते ही फूलों
से भर गईं क्यारी
तुममें है वो बात कहां
जो मुझ में सारी
मेरे आने से आ
जाती मस्ती सारी.. प्रीति राघव चौहान