कैसे बताऊँ मैं ही तो सरकार हूँ..

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Gurugram
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क्य बताऊँ किसलिए बेजार हूँ

क्या बताऊँ किसलिए बेजार हूँ

रोज के हालात से लाचार हूँ

तरबतर हैं चप्पलें बरखा बगैर

दुर्गंध से भरा हुआ बाजार हूँ

मकानों में पैबस्त हैं नाले सभी

उम्मीद से भरा हुआ त्योहार हूँ

बड़े-बड़े मसले यहाँ का तौर हैं

छोटे मुद्दों का नहीं दरबार हूँ

मुकाबिल किसी रोज़ हो तो ज़रा

मैं भी तेरा ही तो परिवार हूँ

बदल रहा हूँ कबसे लिफाफों में

तरोताजा था वही अखबार हूँ

किश्तें भरते बाल भी धौले हुए

एक झूठे स्वप्न का शाहकार हूँ

लोग कहते हैं मैं अंधा भक्त हूँ

कैसे बताऊँ मैं ही तो सरकार हूँ

प्रीति राघव चौहान

 

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नाम:प्रीति राघव चौहान शिक्षा :एम. ए. (हिन्दी) बी. एड. एक रचनाकार सदैव अपनी कृतियों के रूप में जीवित रहता है। वह सदैव नित नूतन की खोज में रहता है। तमाम अवरोधों और संघर्षों के बावजूद ये बंजारा पूर्णतः मोक्ष की चाह में निरन्तर प्रयास रत रहता है। ऐसी ही एक रचनाकार प्रीति राघव चौहान मध्यम वर्ग से जुड़ी अनूठी रचनाकार हैं।इन्होंने फर्श से अर्श तक विभिन्न रचनायें लिखीं है ।1989 से ये लेखन कार्य में सक्रिय हैं। 2013 से इन्होंने ऑनलाइन लेखन में प्रवेश किया । अनंत यात्रा, ब्लॉग -अनंतयात्रा. कॉम, योर कोट इन व प्रीतिराघवचौहान. कॉम, व हिन्दीस्पीकिंग ट्री पर ये निरन्तर सक्रिय रहती हैं ।इनकी रचनायें चाहे वो कवितायें हों या कहानी लेख हों या विचार सभी के मन को आन्दोलित करने में समर्थ हैं ।किसी नदी की भांति इनकी सृजन क्षमता शनै:शनै: बढ़ती ही जा रही है ।

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