हो भविष्य उज्जवल ही उज्जवल
शुभकामना देता ये अंतस्तल गंगा सा मन रहे आपका
दुग्ध धवल निर्मल और निश्चलआज जो है होगा वह कल कल समय यूं ही हो जाता ओझल
जो छोड़े सुधियों के तारे
उन्हें समेटेगा ये अंचलसिस्मित विभा सा रहे मुखमंडल
नयनों से झलके प्रमनजल
प्रगति लहरों में हंसों सा
प्रियवर यूँ ही तू बढ़ता चलस्वप्न हो साकार झिलमिल
रहे जगमग साल झिलमिल कभी ना रूठे यह धरती नभ मिले खुशियां अपार अविरल
शुभकामनाएं /हो भविष्य उज्ज्वल ही उज्ज्वल
हो भविष्य उज्ज्वल ही उज्ज्वल