शुभकामनाएं /हो भविष्य उज्ज्वल ही उज्ज्वल

हो भविष्य उज्ज्वल ही उज्ज्वल

0
16225

हो भविष्य उज्जवल ही उज्जवल
शुभकामना देता ये अंतस्तल                      गंगा सा मन रहे आपका
दुग्ध धवल निर्मल और निश्चल

आज जो है होगा वह कल कल                       समय यूं ही हो जाता ओझल
जो छोड़े सुधियों के तारे
उन्हें समेटेगा ये अंचल

सिस्मित विभा सा रहे मुखमंडल
नयनों से झलके प्रमनजल
प्रगति लहरों में हंसों सा
प्रियवर यूँ ही तू बढ़ता चल

स्वप्न हो साकार झिलमिल
रहे जगमग साल झिलमिल                      कभी ना रूठे यह धरती नभ                            मिले खुशियां अपार अविरल

VIAPriti Raghav Chauhan
SOURCEप्रीति राघव चौहान
SHARE
Previous articleअनकहा/बहुत कुछ कहने के बाद
Next articleलक्ष्य
नाम:प्रीति राघव चौहान शिक्षा :एम. ए. (हिन्दी) बी. एड. एक रचनाकार सदैव अपनी कृतियों के रूप में जीवित रहता है। वह सदैव नित नूतन की खोज में रहता है। तमाम अवरोधों और संघर्षों के बावजूद ये बंजारा पूर्णतः मोक्ष की चाह में निरन्तर प्रयास रत रहता है। ऐसी ही एक रचनाकार प्रीति राघव चौहान मध्यम वर्ग से जुड़ी अनूठी रचनाकार हैं।इन्होंने फर्श से अर्श तक विभिन्न रचनायें लिखीं है ।1989 से ये लेखन कार्य में सक्रिय हैं। 2013 से इन्होंने ऑनलाइन लेखन में प्रवेश किया । अनंत यात्रा, ब्लॉग -अनंतयात्रा. कॉम, योर कोट इन व प्रीतिराघवचौहान. कॉम, व हिन्दीस्पीकिंग ट्री पर ये निरन्तर सक्रिय रहती हैं ।इनकी रचनायें चाहे वो कवितायें हों या कहानी लेख हों या विचार सभी के मन को आन्दोलित करने में समर्थ हैं ।किसी नदी की भांति इनकी सृजन क्षमता शनै:शनै: बढ़ती ही जा रही है ।

LEAVE A REPLY