वैदिक युग से शुरु हुई मैं संस्कृत प्राकृत की चेरी

मैं हूँ हिन्दी प्रीति राघव चौहान

वैदिक युग से शुरु हुई मैं

संस्कृत प्राकृत की चेरी

आर्य नादों में बजती थी

मेरे सुर की रणभेरी 

सिन्धु देश में अश्वमेघ

सम छाप मिलेगी मेरी

अपभ्रंश और अवधी से 

आरंभ है गाथा मेरी 

अट्ठारह हैं बोलियाँ

संग साथ जो मेरे खेली

कह सकते हैं आप इन्हें 

बचपन की सखी सहेली 

खड़ी बोली हरियाणवी 

कन्नौजी ब्रज बुंदेली

लिए पताका बढ़ चलीं

अवधी और बघेली

बात करें अब हिंद की

जित देखो मेरा जोर

मेरी ही भागीरथी 

बह रही चारों ओर

उत्तर में शिमला से ले

खंडवा तक मेरा शोर 

राजपुताने से भागलपुर 

तक मुझ हिन्दी का छोर

जले पड़ोसी बेशक पर

बोली मेरी बोले

नेपाल पाक बंगालदेश 

में दिखते मेरे शोले 

जर्मनी और कनाडा

तक में मेरे व्यापारी झोले

जापान फिजी और सिंगापुर 

में भी होता बम भोले

चलो करें अब विश्व विजय 

मंदारन है अब नीचे 

सबसे ज्यादा बोली जाती 

दुनिया मेरे पीछे 

पूरी दुनिया अमरबेल

सम यद्यपि मुझको सींचे

राष्ट्र भाषा का दर्जा 

पाने में क्यों हूँ मैं पीछे 

टंकन अंकंन से हुई 

मेरी विश्व पहचान 

देवनागरी ने दिया 

मुझको ऊँचा स्थान

है गर्व मुझे मैं हूँ हिन्दी  

अपने भारत की आन

बढ़े पताका विश्व में 

बनूँ मातृभूमि की शान 

“प्रीति राघव चौहान” 

12 सितम्बर 2021 

VIAPRITI RAGHAV CHAUHAN
SOURCEप्रीति राघव चौहान
SHARE
Previous articleमेवात की बेटियाँ रच रहीं इतिहास
Next articleमैं उसकी आँख का पानी हूँ (शहीद उधम सिंह की आँखों देखी)
नाम:प्रीति राघव चौहान शिक्षा :एम. ए. (हिन्दी) बी. एड. एक रचनाकार सदैव अपनी कृतियों के रूप में जीवित रहता है। वह सदैव नित नूतन की खोज में रहता है। तमाम अवरोधों और संघर्षों के बावजूद ये बंजारा पूर्णतः मोक्ष की चाह में निरन्तर प्रयास रत रहता है। ऐसी ही एक रचनाकार प्रीति राघव चौहान मध्यम वर्ग से जुड़ी अनूठी रचनाकार हैं।इन्होंने फर्श से अर्श तक विभिन्न रचनायें लिखीं है ।1989 से ये लेखन कार्य में सक्रिय हैं। 2013 से इन्होंने ऑनलाइन लेखन में प्रवेश किया । अनंत यात्रा, ब्लॉग -अनंतयात्रा. कॉम, योर कोट इन व प्रीतिराघवचौहान. कॉम, व हिन्दीस्पीकिंग ट्री पर ये निरन्तर सक्रिय रहती हैं ।इनकी रचनायें चाहे वो कवितायें हों या कहानी लेख हों या विचार सभी के मन को आन्दोलित करने में समर्थ हैं ।किसी नदी की भांति इनकी सृजन क्षमता शनै:शनै: बढ़ती ही जा रही है ।

LEAVE A REPLY