मन रीता सा क्यों है /अजान और घंटों में जंग

कब से उसके घर की... मन रीता सा क्यों है

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रुककर कब किसी को

हासिल हुआ मुकाम

मील के पत्थर ने

फुसफुसा कर फरमाया

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आजाद देश में आजादी से दुआ

पढ़ मगर शोर न कर खुदा के बंदे

अजान और घंटों में जंग छिड़ गई तो

राम और अल्लाह न ज़मी पर आयेंगे

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अब उसके नाम के चर्चे तो होंगे ही

कब से उस घर की खिड़की नहीं खुली

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गरीब भी मुझसे ज्यादा अमीर निकला

मेरा सिक्का मेरी ओर ही उछाल कर गया

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नदियां उफान पर हैं

मन रीता सा क्यों

बादलों से आस

कुछ ज्यादा की थी

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VIAPriti Raghav Chauhan
SOURCEप्रीति राघव चौहान
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नाम:प्रीति राघव चौहान शिक्षा :एम. ए. (हिन्दी) बी. एड. एक रचनाकार सदैव अपनी कृतियों के रूप में जीवित रहता है। वह सदैव नित नूतन की खोज में रहता है। तमाम अवरोधों और संघर्षों के बावजूद ये बंजारा पूर्णतः मोक्ष की चाह में निरन्तर प्रयास रत रहता है। ऐसी ही एक रचनाकार प्रीति राघव चौहान मध्यम वर्ग से जुड़ी अनूठी रचनाकार हैं।इन्होंने फर्श से अर्श तक विभिन्न रचनायें लिखीं है ।1989 से ये लेखन कार्य में सक्रिय हैं। 2013 से इन्होंने ऑनलाइन लेखन में प्रवेश किया । अनंत यात्रा, ब्लॉग -अनंतयात्रा. कॉम, योर कोट इन व प्रीतिराघवचौहान. कॉम, व हिन्दीस्पीकिंग ट्री पर ये निरन्तर सक्रिय रहती हैं ।इनकी रचनायें चाहे वो कवितायें हों या कहानी लेख हों या विचार सभी के मन को आन्दोलित करने में समर्थ हैं ।किसी नदी की भांति इनकी सृजन क्षमता शनै:शनै: बढ़ती ही जा रही है ।

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