रुककर कब किसी को
हासिल हुआ मुकाम
मील के पत्थर ने
फुसफुसा कर फरमाया
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आजाद देश में आजादी से दुआ
पढ़ मगर शोर न कर खुदा के बंदे
अजान और घंटों में जंग छिड़ गई तो
राम और अल्लाह न ज़मी पर आयेंगे
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अब उसके नाम के चर्चे तो होंगे ही
कब से उस घर की खिड़की नहीं खुली
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गरीब भी मुझसे ज्यादा अमीर निकला
मेरा सिक्का मेरी ओर ही उछाल कर गया
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नदियां उफान पर हैं
मन रीता सा क्यों
बादलों से आस
कुछ ज्यादा की थी