नई कविता
नई कविता

एक किसान की कसक… 

नहीं चाहता मैं विरोध को

नहीं चाहता गतिरोध को

नहीं चाहता लालकिला मैं

मुझको बस इतना भर कर दो

कर्ज़ो से बस बाहर कर दो

मैं खटता दिन रैन अविरत 

भरता हूँ मैं पेट अनगिनत

मेहनत से है रोजी रोटी 

मुझको बस इतना भर कर दो

मेरा भी घर आंगन भर दो

नहीं खालसा न मुस्लिम हूँ

ना हिन्दू मैं ना ज़ालिम हूँ 

देशभक्त हूँ इक किसान मैं 

मुझको बस इतना भर कर दो 

पैरों तक इक चादर कर दो

राजनीति मैं नहीं जानता 

कूटनीति मैं नहीं मानता 

ना लाठी ना झंडा मेरा

मुझको बस इतना भर कर दो 

मेरी दर पर राशन कर दो… प्रीति राघव चौहान 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

VIAPritiRaghavChauhan
SOURCEप्रीति राघव चौहान
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नाम:प्रीति राघव चौहान शिक्षा :एम. ए. (हिन्दी) बी. एड. एक रचनाकार सदैव अपनी कृतियों के रूप में जीवित रहता है। वह सदैव नित नूतन की खोज में रहता है। तमाम अवरोधों और संघर्षों के बावजूद ये बंजारा पूर्णतः मोक्ष की चाह में निरन्तर प्रयास रत रहता है। ऐसी ही एक रचनाकार प्रीति राघव चौहान मध्यम वर्ग से जुड़ी अनूठी रचनाकार हैं।इन्होंने फर्श से अर्श तक विभिन्न रचनायें लिखीं है ।1989 से ये लेखन कार्य में सक्रिय हैं। 2013 से इन्होंने ऑनलाइन लेखन में प्रवेश किया । अनंत यात्रा, ब्लॉग -अनंतयात्रा. कॉम, योर कोट इन व प्रीतिराघवचौहान. कॉम, व हिन्दीस्पीकिंग ट्री पर ये निरन्तर सक्रिय रहती हैं ।इनकी रचनायें चाहे वो कवितायें हों या कहानी लेख हों या विचार सभी के मन को आन्दोलित करने में समर्थ हैं ।किसी नदी की भांति इनकी सृजन क्षमता शनै:शनै: बढ़ती ही जा रही है ।

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