डिप्रेशन /Depression

उसके कमरे की दीवारों पर चस्पा हैं कई

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डिप्रेशन
उसके कमरे की दीवारों
पर चस्पा हैं कई तहरीरें
दिखाई नहीं देती
सुनाई देती हैं
रात के सन्नाटे में
कभी निकलता है कॉकरोच कोई
कभी कोई छिपकली का बच्चा
दिन ढले छिप जाता है
उसकी अलमारी में
बाथरूम की टाईलों से निकल
ढेरों मछलियां चली
आतीं हैं बेडरूम तक
और साथ-साथ मछलियों के
वाशबेसिन से निकलती है
इक तेज सड़ांध जिसकी वो
अक्सर शिकायत करती है
उसके जाने के बाद वो शिकवे
नजर आते हैं तहरीरों से
उसके कमरे की दीवार पर…
जब मैं उसके जाने के बाद
खोलती हूँ बाथरूम तो फर्श और टाइलें
चमचमा रहे होते हैं
नहीं दिखता मुझे कोई कॉकरोच
नहीं आती वहां कोई बू
ना कोई छिपकली का बच्चा
फिर केवल उसे ही
क्यों नजर आते हैं सब
क्या है इन दीवारों में
इन चमचमाती टाइलों में
इस बाथरूम के वाशबेसिन में
मैं बहुत खोजती हूं
पर मुझे कुछ नजर नहीं आता
शायद ये तहरीरें
डिप्रेशन की मूक भाषा हैं
प्रीति राघव चौहान

VIAPriti Raghav Chauhan
SOURCEप्रीति राघव चौहान
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नाम:प्रीति राघव चौहान शिक्षा :एम. ए. (हिन्दी) बी. एड. एक रचनाकार सदैव अपनी कृतियों के रूप में जीवित रहता है। वह सदैव नित नूतन की खोज में रहता है। तमाम अवरोधों और संघर्षों के बावजूद ये बंजारा पूर्णतः मोक्ष की चाह में निरन्तर प्रयास रत रहता है। ऐसी ही एक रचनाकार प्रीति राघव चौहान मध्यम वर्ग से जुड़ी अनूठी रचनाकार हैं।इन्होंने फर्श से अर्श तक विभिन्न रचनायें लिखीं है ।1989 से ये लेखन कार्य में सक्रिय हैं। 2013 से इन्होंने ऑनलाइन लेखन में प्रवेश किया । अनंत यात्रा, ब्लॉग -अनंतयात्रा. कॉम, योर कोट इन व प्रीतिराघवचौहान. कॉम, व हिन्दीस्पीकिंग ट्री पर ये निरन्तर सक्रिय रहती हैं ।इनकी रचनायें चाहे वो कवितायें हों या कहानी लेख हों या विचार सभी के मन को आन्दोलित करने में समर्थ हैं ।किसी नदी की भांति इनकी सृजन क्षमता शनै:शनै: बढ़ती ही जा रही है ।

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