बेसबब उसकी हर बात को लेते गये तयशुदा उसको लम्हात ही भेजे गये
देता रहा दस्तक वो खामोश सा चेहरा जज़्बातों को उसके तजुर्बात सा लेते गये
वो कुलों सा उसकी तासीर है महकना हम ख़ाकसार बिखरे गुल समेटे गये
कितने पेचोंख़म भरे मुकामों से गुज़रे हैं वो जश्ने जीत में थे हम हार सहेजे गये
वक्त ए आंधी अपनी रफ़्तार से बढ़ती गई| हम छूटे पलों के टूटे पात सहेजे गये
देता रहा दस्तक वो
वक्त ए आंधी अपनी रफ़्तार से