1. कविता: “आत्मविश्वास की उड़ान”

तू क्यों डरती है ऐ नारी,

तुझमें जब शक्ति छिपी सारी

 बेशक है ये अंजानी सी,

तू स्वयं तो है पहचानी सी।

तूफानों से क्या घबराना,

है रोज नया तूफां आना,

बस झुकना नहीं 

कभी रुकना नहीं

तेरी राह बनेगी नजराना। 

तेरा ये यकीन है तेरा साथी 

तू जिद्दी परिंदा,जहाँ बाकी ।

तू जो ठान ले तो सच सारे स्वप्न ,

स्वयं पर विश्वास है आभूषण ।

तुझे बांध सके किसमें हिम्मत 

करे सत्य स्वयं तेरा वंदन।

उठ जाग सखी खुद को पहचान

है दिवस नया भर नई उड़ान 

घूंघट के पट तज कदम बढ़ा 

हो हर गंतव्य नव कीर्तिमान 

ये विश्व कहेगा स्वयं आकर

तू ही है शक्ति तू ही सम्मान 

तू ही है शक्ति तू ही सम्मान 

VIAप्रीति राघव चौहान
SOURCEPRITI RAGHAV CHAUHAN
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नाम:प्रीति राघव चौहान शिक्षा :एम. ए. (हिन्दी) बी. एड. एक रचनाकार सदैव अपनी कृतियों के रूप में जीवित रहता है। वह सदैव नित नूतन की खोज में रहता है। तमाम अवरोधों और संघर्षों के बावजूद ये बंजारा पूर्णतः मोक्ष की चाह में निरन्तर प्रयास रत रहता है। ऐसी ही एक रचनाकार प्रीति राघव चौहान मध्यम वर्ग से जुड़ी अनूठी रचनाकार हैं।इन्होंने फर्श से अर्श तक विभिन्न रचनायें लिखीं है ।1989 से ये लेखन कार्य में सक्रिय हैं। 2013 से इन्होंने ऑनलाइन लेखन में प्रवेश किया । अनंत यात्रा, ब्लॉग -अनंतयात्रा. कॉम, योर कोट इन व प्रीतिराघवचौहान. कॉम, व हिन्दीस्पीकिंग ट्री पर ये निरन्तर सक्रिय रहती हैं ।इनकी रचनायें चाहे वो कवितायें हों या कहानी लेख हों या विचार सभी के मन को आन्दोलित करने में समर्थ हैं ।किसी नदी की भांति इनकी सृजन क्षमता शनै:शनै: बढ़ती ही जा रही है ।

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