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धरती
धरती धरती
कल मैं जमीन पर बैठी थी
माँ बोली! धरती पर क्यों बैठी हो?
अभी वसुधा पर ओस है।pritiraghavchauhan.com
मही अभी नम है।
उर्वी से उठो, क्षिति!
धरित्री को...
पानी
पानी.. पानी
पानी
हुई पुरानी ताल-तलैया,
हुए पुराने कुएं जी।
नल ही नल हैं अब तो घर-घर
कहाँ रहे वो झरने जी।
पानी ले जाती पनिहारिन
हवा न जाने कहाँ हुई
बोतल...
आत्मविश्वास की उड़ान
कविता: "आत्मविश्वास की उड़ान"
तू क्यों डरती है ऐ नारी,
तुझमें जब शक्ति छिपी सारी
बेशक है ये अंजानी सी,
तू स्वयं तो है पहचानी सी।
तूफानों से...
चलो एक बार…
चलो एक बार फिर
भरें उड़ान
हौसलों से भर लो पर
रंग बिरंगे रंग ओढ़ कर
पुरातन पंथी ढंग छोड़कर
चलो फिर भरें उड़ान
तुम अनूठी हो
अद्भुत है तुममे साहस
करो...
इस काल का वरण करें /IndianCricketTeam
इसकाल का वरण करें
जीत के आकाश से
विजय कुसुम नहीं तो क्या
क्षण वो शंखनाद के
बना नहीं सके तो क्या
निशीथ के अंधेरों में
नव किरण नहीं तो...
फोन का उपवास
#फोन चलो आज फोन का उपवास करते हैं
https://pritiraghavchauhan...
चलो आज फोन का उपवास करते हैं
चलो आज फोन का उपवास करते हैं
नहीं देखेंगे व्हाट्सएप चैट
ना देखेंगे...
लक्ष्य नया अपनाना होगा
लक्ष्य नया अपनाना होगा
लकीर के फकीर को
कब मिली डगर नई
आंधी में अधीर को
कब मिली सहर नई
सबसे हटकर चलना है तो
लक्ष्य नया अपनाना होगा
दुनिया तेरे...
मौसम मेरे शहर का
मौसम मेरे शहर का यह कदर बेइमान हुआ
हर इक कतरा हवा का मौत का सामां हुआ
किसका पूछें हाल बंधु हर कोई बेहाल...