Thursday, January 16, 2025
Tags #pritiraghavchauhan.com /NaiKavita

Tag: #pritiraghavchauhan.com /NaiKavita

आग

  वो आग जो तसले में पली  आग जिसने जोड़ा सभी को वो आग जिसने तोड़ा सभी को वो आग जो शाम को...

धरती 

धरती धरती कल मैं जमीन पर बैठी थी माँ बोली! धरती पर क्यों बैठी हो? अभी वसुधा पर ओस है।pritiraghavchauhan.com मही अभी नम है। उर्वी से उठो, क्षिति! धरित्री को...

पानी

पानी.. पानी पानी   हुई पुरानी ताल-तलैया, हुए पुराने कुएं जी। नल ही नल हैं अब तो घर-घर कहाँ रहे वो झरने जी।   पानी ले जाती पनिहारिन हवा न जाने कहाँ हुई बोतल...

आत्मविश्वास की उड़ान

कविता: "आत्मविश्वास की उड़ान" तू क्यों डरती है ऐ नारी, तुझमें जब शक्ति छिपी सारी  बेशक है ये अंजानी सी, तू स्वयं तो है पहचानी सी। तूफानों से...

चलो एक बार…

चलो एक बार फिर भरें उड़ान हौसलों से भर लो पर रंग बिरंगे रंग ओढ़ कर पुरातन पंथी ढंग छोड़कर चलो फिर भरें उड़ान  तुम अनूठी हो अद्भुत है तुममे साहस करो...

इस काल का वरण करें /IndianCricketTeam

इसकाल का वरण करें  जीत के आकाश से विजय कुसुम नहीं तो क्या  क्षण वो शंखनाद के  बना नहीं सके तो क्या  निशीथ के अंधेरों में  नव किरण नहीं तो...

फोन का उपवास

#फोन चलो आज फोन का उपवास करते हैं https://pritiraghavchauhan... चलो आज फोन का उपवास करते हैं     चलो आज फोन का उपवास करते हैं  नहीं देखेंगे व्हाट्सएप चैट  ना देखेंगे...

लक्ष्य नया अपनाना होगा

लक्ष्य नया अपनाना होगा  लकीर के फकीर को कब मिली डगर नई आंधी में अधीर को कब मिली सहर नई सबसे हटकर चलना है तो लक्ष्य नया अपनाना होगा  दुनिया तेरे...

मौसम मेरे शहर का

 मौसम  मेरे शहर का यह कदर बेइमान हुआ हर इक कतरा हवा का मौत का सामां हुआ किसका  पूछें हाल  बंधु हर कोई बेहाल...
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