ये कोरोना के पतन का काल है

चहुंओर आजादी के खुशकत नजारे

हवाओं में उछलते दिलकश ये नारे

खांसते लोग खिड़कियों से झाँकते

लिए पुनर्जागरण की फिर से मशाल हैं

ये कोरोना के पतन का काल है

अब किसकी होगी सत्ता

किसका बड़ा गिरेगा पत्ता

दुर्योधन होगा कुर्सी पर

या अर्जुन होगा अलबत्ता

चारों ओर बस यही सवाल है

ये कोरोना के पतन का काल है

एक पीढ़ी अलसाई सी

है बंधक दियासलाई सी

गूगल ज्ञान से सरोबार

भुरभुर नानखताई सी

अनपढ़ बालकों की भौचक भौकाल है

ये कोरोना के पतन का काल है

पेट वही है आग बड़ी

दो की मूली दस गुना चढ़ी

हुए हरिश्चंद्र अब बेमानी

बेधुली रहे अब बणी-ठणी

सायबर क्राइम में आया उछाल है

ये कोरोना के पतन का काल है

“प्रीति राघव चौहान “

नई कविता( ये कोरोना के पतन का काल है!)
नई कविता

 

 

 

 

VIAPRITI RAGHAV CHAUHAN
SOURCEप्रीति राघव चौहान
SHARE
Previous articleसियासी झगड़ों से बचपन को बचाना था
Next articleबस तुम और मैं..
नाम:प्रीति राघव चौहान शिक्षा :एम. ए. (हिन्दी) बी. एड. एक रचनाकार सदैव अपनी कृतियों के रूप में जीवित रहता है। वह सदैव नित नूतन की खोज में रहता है। तमाम अवरोधों और संघर्षों के बावजूद ये बंजारा पूर्णतः मोक्ष की चाह में निरन्तर प्रयास रत रहता है। ऐसी ही एक रचनाकार प्रीति राघव चौहान मध्यम वर्ग से जुड़ी अनूठी रचनाकार हैं।इन्होंने फर्श से अर्श तक विभिन्न रचनायें लिखीं है ।1989 से ये लेखन कार्य में सक्रिय हैं। 2013 से इन्होंने ऑनलाइन लेखन में प्रवेश किया । अनंत यात्रा, ब्लॉग -अनंतयात्रा. कॉम, योर कोट इन व प्रीतिराघवचौहान. कॉम, व हिन्दीस्पीकिंग ट्री पर ये निरन्तर सक्रिय रहती हैं ।इनकी रचनायें चाहे वो कवितायें हों या कहानी लेख हों या विचार सभी के मन को आन्दोलित करने में समर्थ हैं ।किसी नदी की भांति इनकी सृजन क्षमता शनै:शनै: बढ़ती ही जा रही है ।

LEAVE A REPLY