Tag: #PritiRaghavChauhan/नई कविता
कंदील
दिन में पतंगें
रात को कंदील
उड़ाई हवा में
जैसे अबाबील
कटती रही पतंगें
बुझती रहीं कंदील
कोई दुआ हुई ना
तेरे दर पे तामील
पतंग सी आशिकी
पीर सी कंदील
पहली करील सी
दूजी...
यशोधरा प्रश्न
जाने कितनी वासवदत्ता
आई होंगी द्वार तिहारे
ओढ़ चांदनी और अंगड़ाई
लेकर होंगे पंथ बुहारे
किंतु देव में मलिन
सहमी हुई सी एक लता
आजन्म रहूँगी कृतज्ञ
जो होऊँ बंदी अंक...