घर से था निकला मौजे जुनूँ में
किस हाल में है चलो ये भुला दें
हाथों में देकर उसके किताबें
उसे पाठशाला में दाखिल करा दें
बच्चा ही है वो क्या चाहेगा तुमसे
जीने का उसको सलीका सिखा दें
तुम्हें भी है मालूम बेबस वो कितना
मोदी को इक बार उसका पता दें
हैं उसकी भी आँखों में रंगीन सपने
चलो इनके हिस्से की खुशियां दिला दें