उल्लू सा जागता

महानगरीय आदमी

उल्लू सा जागता  अंधाधुंध भागता  आगे पीछे विकराल मुँह वाला ये आदमी  महानगरी का बाशिंदा है  खासियत ये है कि  हर हाल में जिंदा है 

औरतें जब बैठती हैं..

औरतें जब बैठती हैं..   औरतें जब बैठती हैं एक साथ चंद पल फुर्सत के निकाल मुस्कुराती हैं हँसती हैं चहकती हैं फफकती हैं और कभी-कभी शोलों सी धधकती हैं  औरतों के...

DearSanta….

DearSanta, I am still waiting for you from years... On this day I know your bells are stolen Your cart is just like a cage I know your  grey beard...

सक्षम सक्षम सब कहें…

एक डायरी सक्षम सक्षम सब करें क्या सक्षम के शंखनाद से जगा पाये हम बालमन.. प्रीति राघव चौहान 20दिसम्बर 2018 विद्यालय में जाना मेरे लिए किसी उत्सव से...

चंद अशआर

 चंद अशआर मैं शिकायत भी करता तो भला किससे मैंने मोहब्बत की और मैं मकतल में हूँ ******************************* अब उसको मुझसे शिकायत न होगी ज़िन्दा है वो मैंने मरकर...

अलवर के शंभुनाथ

काश जात पूछ करते वो प्रेम ....  निकले होते घर से  घर वालों से पूछ ...   चले होते लेकर आज्ञा माता-पिता की ..  काश उन्हें पता होता प्रेम...

Golden Bowl

Pritiraghav Chauhan सुनहरी कटोरा  “मम्मी, बुरा ना मानो तो एक चीज मांगू।” शादी के चार साल बाद नेहा ने माँ से कहा। “हां बोल क्या चाहिए?” “तुम...

वेबसाइट

          सुबह-सुबह सुबह एक अच्छे मूड में उठने के बाद सोचा कुछ लिखा जाये ।मन में आज अनेक विचारों के...