आग

  वो आग जो तसले में पली  आग जिसने जोड़ा सभी को वो आग जिसने तोड़ा सभी को वो आग जो शाम को...

जमाने के चलन देखे 

जमाने के चलन देखे PritiRaghav Chauhan जमाने के चलन देखे नई कविता जमाने के चलन देखे     जमाने के चलन देखे   PRITI RAGHAV CHAUHAN   जमाने के चलन देखे खिले साहब...

धरती 

धरती धरती कल मैं जमीन पर बैठी थी माँ बोली! धरती पर क्यों बैठी हो? अभी वसुधा पर ओस है।pritiraghavchauhan.com मही अभी नम है। उर्वी से उठो, क्षिति! धरित्री को...

पानी

पानी.. पानी पानी   हुई पुरानी ताल-तलैया, हुए पुराने कुएं जी। नल ही नल हैं अब तो घर-घर कहाँ रहे वो झरने जी।   पानी ले जाती पनिहारिन हवा न जाने कहाँ हुई बोतल...
नया साल 

नया साल 

नया साल Priti Raghav Chauhan  ये जो नया साल है अब नया सा नहीं लग रहा दशक दर दशक ये पाश्चात्यता के रंग में रंग रहा है ये सर्द...
काशी में शिक्षा

काशी में शिक्षा

नव भारत ने पकड़ ली अब विकास की राह, वाराणसी में दिखा शिक्षा का नया प्रवाह।   देखे हमने विद्यालयों में नवजागरण स्वर, निपुण भारत का सपना हर बच्चा हो आत्मनिर्भर   कार्यकलापों से...

काशी के बुनकर

हंथकरघा जहाँ गाता धुनों का राग, हर ताना-बाना कहता है दिल की बात।   सूरज सी रेशम किरणों से बुनकर के वो खेल,  मेहनत और कारीगरी का अविरत...

क्या है काशी?

जब जीवन ने पहली साँस ली, गंगा के तट पर काशी बसी। संस्कारों का दीप जला, ज्ञान की गंगा यहाँ बही।   हर गली में इतिहास गूँजता, हर कोने में...
काशी

काशी

  काशी, तू है समय का शाश्वत स्वर, तू ही आरंभ और तू ही अंतिम पहर।   यहाँ जन्म की पहली पुकार सी गंगा की धार में शाश्वत सृष्टि...

वाराणसी मैं आ रही हूँ!

  चाहती हूँ भारत को करीब से देखना, उसकी आत्मा को छूना, ब्रह्मपुत्र के उद्गम से, नर्मदा की हर धार तक बहना।   चाहती हूँ कावेरी की लहरों में गहराई ढूंढना, और गंगा...