This Week Trends
निकलते ही पाँव
छीन लेते हैं कुर्सी पिता की
चिंतन की काठी में बांध
छोड़ देते हैं
निर्जन वेदना की चिता तक
आज के लाल
प्रीति राघव चौहान
दिन में पतंगें
रात को कंदील
उड़ाई हवा में
जैसे अबाबील
कटती रही पतंगें
बुझती रहीं कंदील
कोई दुआ हुई ना
तेरे दर पे तामील
पतंग सी आशिकी
पीर सी कंदील
पहली करील सी
दूजी बड़ी सुनील
पतंग सा मन
भिलनी सी कंदील
इक उड़े चील सी
इक अश्रु भरी झील
पतंग मनोहारी
श्यामा सी कंदील
वो...
नये विचार को
ग्रहण करने के लिये
विचार शून्य होना जरूरी है ।
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रफ्तार
जीना है गर तुझे
रफ्तार जरूरी है
जमीन से आकाश तक
इस पार से उस पार तक
जीतना है हार को
सींचना है प्यार को
जुटा ले अपना हौंसला
जीना है...
वर्जित है
किसी के जीवन में
प्रवेश किसी का
अनाधिकार
वर्जित है
...
आज का विचार
कुछ पन्ने उजले तो कुछ स्याह सही
हर इम्तिहान कुछ नया सिखा के गया
आग
वो आग जो तसले में पली
आग जिसने जोड़ा सभी को
वो आग जिसने तोड़ा सभी को
वो आग जो शाम को...
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खिले साहब...
धरती
धरती धरती
कल मैं जमीन पर बैठी थी
माँ बोली! धरती पर क्यों बैठी हो?
अभी वसुधा पर ओस है।pritiraghavchauhan.com
मही अभी नम है।
उर्वी से उठो, क्षिति!
धरित्री को...
पानी
पानी.. पानी
पानी
हुई पुरानी ताल-तलैया,
हुए पुराने कुएं जी।
नल ही नल हैं अब तो घर-घर
कहाँ रहे वो झरने जी।
पानी ले जाती पनिहारिन
हवा न जाने कहाँ हुई
बोतल...
काशी में शिक्षा
नव भारत ने पकड़ ली
अब विकास की राह,
वाराणसी में दिखा
शिक्षा का नया प्रवाह।
देखे हमने विद्यालयों में
नवजागरण स्वर,
निपुण भारत का सपना
हर बच्चा हो आत्मनिर्भर
कार्यकलापों से...
काशी के बुनकर
हंथकरघा जहाँ गाता धुनों का राग,
हर ताना-बाना कहता है दिल की बात।
सूरज सी रेशम किरणों से बुनकर के वो खेल,
मेहनत और कारीगरी का अविरत...
क्या है काशी?
जब जीवन ने पहली साँस ली,
गंगा के तट पर काशी बसी।
संस्कारों का दीप जला,
ज्ञान की गंगा यहाँ बही।
हर गली में इतिहास गूँजता,
हर कोने में...