लक्ष्य नया अपनाना होगा

लक्ष्य नया अपनाना होगा 

लकीर के फकीर को

कब मिली डगर नई

आंधी में अधीर को

कब मिली सहर नई

सबसे हटकर चलना है तो

लक्ष्य नया अपनाना होगा 

दुनिया तेरे पीछे होगी

आगे नया जमाना होगा

जाड़े की सुबह उनको

लगती है अलसाई सी

और राधा की नीली उंगली 

है जाड़े से घबराई सी

जो सोए हैं तले गगन के 

उनको भी अपनाना होगा 

अपने हिस्से की गर्म रजाई

बाँट पुण्य कमाना होगा 

चींटियों से सीखें

आकाश को उठाना

तपी हुई धारिणी से 

हम सीखें मुस्कुराना

मांगे से कब राह मिली 

लहरों से टकराना होगा 

लिख राम नाम पत्थर पर

सेतुबंध बनाना होगा 

सात सुरों से अनहद

सप्त रंग से निराकार 

पा लेते हैं वो गुणीजन 

जो सम रहते हैं हर वार

शोक मोह के मायाजाल से 

खुद को हमें बचाना होगा

भीतर के इस चंचल मन को

नया सबक सिखाना होगा

“प्रीति राघव चौहान” 

5जनवरी2022

गुरुग्राम

 

 

 

VIAPRITI RAGHAV CHAUHAN
SOURCEप्रीति राघव चौहान
SHARE
Previous articleजीवन के बंजारे पन को एक नया मुकाम दिलाएँ
Next articleकंदील
नाम:प्रीति राघव चौहान शिक्षा :एम. ए. (हिन्दी) बी. एड. एक रचनाकार सदैव अपनी कृतियों के रूप में जीवित रहता है। वह सदैव नित नूतन की खोज में रहता है। तमाम अवरोधों और संघर्षों के बावजूद ये बंजारा पूर्णतः मोक्ष की चाह में निरन्तर प्रयास रत रहता है। ऐसी ही एक रचनाकार प्रीति राघव चौहान मध्यम वर्ग से जुड़ी अनूठी रचनाकार हैं।इन्होंने फर्श से अर्श तक विभिन्न रचनायें लिखीं है ।1989 से ये लेखन कार्य में सक्रिय हैं। 2013 से इन्होंने ऑनलाइन लेखन में प्रवेश किया । अनंत यात्रा, ब्लॉग -अनंतयात्रा. कॉम, योर कोट इन व प्रीतिराघवचौहान. कॉम, व हिन्दीस्पीकिंग ट्री पर ये निरन्तर सक्रिय रहती हैं ।इनकी रचनायें चाहे वो कवितायें हों या कहानी लेख हों या विचार सभी के मन को आन्दोलित करने में समर्थ हैं ।किसी नदी की भांति इनकी सृजन क्षमता शनै:शनै: बढ़ती ही जा रही है ।

LEAVE A REPLY