उम्मीद के कपाट को

बसंत खटखटा रहा 

हस्त ले अमृत कलश

वर्ष नया आ रहा

हे सृष्टि कर अभिनंदन

नव नृत्य नव ताल का

मुस्कुराकर कर स्वागत 

तू आने वाले साल का

 तू देख विद्यमान को

 क्यों झरे पात देखना

 नव पल्लव ठाड़े ड्योढ़ी 

 क्यों बुझे गात देखना

 हे सृष्टि कर अभिनंदन

आने वाले काल का

मुस्कुराकर कर स्वागत 

तू आने वाले साल का

 पारिजात न सही

तू मालती बन महक 

नयनतारा अमलतास 

टेसू सा बन चहक

हे सृष्टि कर अभिनंदन

हर कोंपल हर डाल का

मुस्कुराकर कर स्वागत 

तू आने वाले साल का

जीवन एक परीक्षा हो

या लिखनी कोई समीक्षा हो 

तू लिख सदैव नित ही नूतन

कर वर्तमान का अभिवर्धन 

हे सृष्टि कर अभिनंदन

तू हर इक नए सवाल का 

मुस्कुराकर कर स्वागत 

तू आने वाले साल का

        “प्रीति राघव चौहान”

31/12/2021 

VIAPRITI RAGHAV CHAUHAN
SOURCEप्रीति राघव चौहान
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नाम:प्रीति राघव चौहान शिक्षा :एम. ए. (हिन्दी) बी. एड. एक रचनाकार सदैव अपनी कृतियों के रूप में जीवित रहता है। वह सदैव नित नूतन की खोज में रहता है। तमाम अवरोधों और संघर्षों के बावजूद ये बंजारा पूर्णतः मोक्ष की चाह में निरन्तर प्रयास रत रहता है। ऐसी ही एक रचनाकार प्रीति राघव चौहान मध्यम वर्ग से जुड़ी अनूठी रचनाकार हैं।इन्होंने फर्श से अर्श तक विभिन्न रचनायें लिखीं है ।1989 से ये लेखन कार्य में सक्रिय हैं। 2013 से इन्होंने ऑनलाइन लेखन में प्रवेश किया । अनंत यात्रा, ब्लॉग -अनंतयात्रा. कॉम, योर कोट इन व प्रीतिराघवचौहान. कॉम, व हिन्दीस्पीकिंग ट्री पर ये निरन्तर सक्रिय रहती हैं ।इनकी रचनायें चाहे वो कवितायें हों या कहानी लेख हों या विचार सभी के मन को आन्दोलित करने में समर्थ हैं ।किसी नदी की भांति इनकी सृजन क्षमता शनै:शनै: बढ़ती ही जा रही है ।

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