लोगों को कहने दो

लोगों के कहने से कपड़े नहीं बदले जाते

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आप हँसना चाहते हैं

जोर से चिल्लाना चाहते हैं

चाहते हैं सड़क किनारे खाना कुलचे

चाहते हैं सिस्टम पर लगाना पंच

दिन भर की भगदौड़ से परे

चाहते हैं प्रकृति का मंच

गाना चाहते हैं बेसुरी आवाज में गीत

पाना चाहते हैं कटोरे से मोहक संगीत

परिंदों संग छानना चाहते हैं आसमान 

लाना चाहते हैं हर चेहरे पर मुस्कान 

बच्चों संग चाहते होना बच्चा

बूढ़ों संग चलना बन श्रवण सच्चा

तो चलिये बेजान घरौंदों में जान डालें

लोगों के कहने से कपड़े नहीं  बदले जाते

VIAPriti Raghav Chauhan
SOURCEप्रीति राघव चौहान
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नाम:प्रीति राघव चौहान शिक्षा :एम. ए. (हिन्दी) बी. एड. एक रचनाकार सदैव अपनी कृतियों के रूप में जीवित रहता है। वह सदैव नित नूतन की खोज में रहता है। तमाम अवरोधों और संघर्षों के बावजूद ये बंजारा पूर्णतः मोक्ष की चाह में निरन्तर प्रयास रत रहता है। ऐसी ही एक रचनाकार प्रीति राघव चौहान मध्यम वर्ग से जुड़ी अनूठी रचनाकार हैं।इन्होंने फर्श से अर्श तक विभिन्न रचनायें लिखीं है ।1989 से ये लेखन कार्य में सक्रिय हैं। 2013 से इन्होंने ऑनलाइन लेखन में प्रवेश किया । अनंत यात्रा, ब्लॉग -अनंतयात्रा. कॉम, योर कोट इन व प्रीतिराघवचौहान. कॉम, व हिन्दीस्पीकिंग ट्री पर ये निरन्तर सक्रिय रहती हैं ।इनकी रचनायें चाहे वो कवितायें हों या कहानी लेख हों या विचार सभी के मन को आन्दोलित करने में समर्थ हैं ।किसी नदी की भांति इनकी सृजन क्षमता शनै:शनै: बढ़ती ही जा रही है ।

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