भाषा तथा व्याकरण

विषय हिन्दी

कक्षा तीसरी, चौथी, पांचवीं

 (सक्षम हेतु अभ्यास पत्रक) _3

1. भाषा के शुद्ध रूप का ज्ञान किससे होता है ?

 (A) लिखित भाषा से

 (B) मौखिक भाषा से

 (C) लिपि से

 (D) व्याकरण से

2. हिन्दी को राजभाषा के रूप में कब स्वीकार किया गया ?

 (A) 15 सितम्बर 1949

 (B) 20 सितम्बर 1947

 (C) 15 अगस्त 1947

 (D) 14 सितम्बर 1949

3. भारत के संविधान में कुल कितनी भाषाएँ हैं ?

 (A) 22

 (B) 23

 (C) 21

 (D) 20

4. लिपि क्या है ?

 (A) भाषा को बोलने का ढंग

 (B) विचार व्यक्त करने का ढंग

 (C) भाषा को लिखने का ढंग

 (D) सुनने का ढंग

5. भाषा के कितने रूप होते हैं ?

 (A) दो

 (B) तीन

 (C) चार

 (D) पांच

6. मन के भावों को आपस में आदान – प्रदान करना क्या कहलाता है ?

 (A) भाषा

 (B) लिपि

 (C) बातचीत

 (D) व्याकरण

7.बोली किसका एक रूप है ?

 (A) लिपि

 (B) व्याकरण

 (C) भाषा

 (D) पंजाबी

 8.हिन्दी दिवस कब मनाया जाता है ?

 (A) 15 अक्टूबर

 (B) 14 सितम्बर

 (C) 16 सितम्बर

 (D) 20 अक्टूबर

9. गुरुमुखी किस भाषा की लिपि है ?

 (A) पंजाबी

 (B) हिन्दी

 (C) संस्कृत

 (D) मराठी

10. रोमन किस भाषा की लिपि है ?

 (A) हिन्दी

 (B) अंग्रेजी

(C) पंजाबी

(D) कोई नहीं

11.लिखित भाषा में भावों को कैसे प्रकट किया जाता है ?

 (A) बोलकर

 (B) इशारे करके

 (C) लिखकर

 (D) गाकर

12. भाषा के लिखने के ढंग को क्या कहते हैं ?

 (A) व्याकरण

 (B) लिपि

 (C) मौखिक भाषा

 (D) चिह्न

13. भाषण देना भाषा का कौन सा रूप है ?

 (A) लिखित

 (B) सांकेतिक

 (C) मौखिक

 (D) सुनकर

14. मौखिक रूप में भावों को कैसे प्रकट किया जाता है ?

 (A) लिखकर

 (B) इशारों से

(C) बोलकर

 (D)कोई नहीं

15.हिन्दी भाषा की लिपि है?

 (A) देवनागरी

 (B) मौखिक

(C)डोगरी

(D) लिखित

16. भाषा के नियमों की व्यवस्था को क्या कहते हैं?

(A) वर्णमाला

(B) व्याकरण

(C) बोली

(D). देवनागरी

 

.. उत्तर… 1.D. 2.D. 3.A. 4.C. 5.A. 6.A. 7.C. 8.B.

9.A. 10.B. 11.C. 12.B. 13C. 14.C. 15.A. 16.A

 

 

 

VIAप्रीति राघव चौहान
SOURCEpritiraghavchauhan.com
SHARE
Previous articleवर्ण और वर्णमाला (सक्षम हेतु अभ्यास पत्र)कक्षा तीसरी, चौथी, पांचवीं हेतु
Next articleसक्षम हेतु अभ्यास कार्य पत्रक (संज्ञा)
नाम:प्रीति राघव चौहान शिक्षा :एम. ए. (हिन्दी) बी. एड. एक रचनाकार सदैव अपनी कृतियों के रूप में जीवित रहता है। वह सदैव नित नूतन की खोज में रहता है। तमाम अवरोधों और संघर्षों के बावजूद ये बंजारा पूर्णतः मोक्ष की चाह में निरन्तर प्रयास रत रहता है। ऐसी ही एक रचनाकार प्रीति राघव चौहान मध्यम वर्ग से जुड़ी अनूठी रचनाकार हैं।इन्होंने फर्श से अर्श तक विभिन्न रचनायें लिखीं है ।1989 से ये लेखन कार्य में सक्रिय हैं। 2013 से इन्होंने ऑनलाइन लेखन में प्रवेश किया । अनंत यात्रा, ब्लॉग -अनंतयात्रा. कॉम, योर कोट इन व प्रीतिराघवचौहान. कॉम, व हिन्दीस्पीकिंग ट्री पर ये निरन्तर सक्रिय रहती हैं ।इनकी रचनायें चाहे वो कवितायें हों या कहानी लेख हों या विचार सभी के मन को आन्दोलित करने में समर्थ हैं ।किसी नदी की भांति इनकी सृजन क्षमता शनै:शनै: बढ़ती ही जा रही है ।

LEAVE A REPLY