काशी

Kashi

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काशी
काशी

काशी, तू है समय का शाश्वत स्वर,

तू ही आरंभ और तू ही अंतिम पहर।

 

यहाँ जन्म की पहली पुकार सी

गंगा की धार में शाश्वत सृष्टि झलकती।

सतत प्रवाह में जीवन का संगीत,

काशी, जहाँ सृष्टि और शून्य कालातीत ।

 

धूप से नहाए ये घाट नए पुराने,

जहाँ हर श्वास में छिपे हैं फ़साने।

माँ गंगा की गोद में बहती कथा,

जीवन का आरंभ और अनंत की व्यथा।

 

 

काशी, जहाँ समय ठहरता नहीं

बहता है इसकी रगों में

शिव के डमरू की गूंज

से बंधा है यह नगर,

हर कण में गुंजायमान है

मोक्ष का अमर स्वर

 

मणिकर्णिका की अग्नि की साक्षी बनी,

जहाँ शरीर मिटते देखे और आत्मा की चमक बढ़ी

जीवन का अंतिम पड़ाव यहीं पर,

मोक्ष की राहें खुलती देखी।

 

 

यहाँ कोई अंत नहीं, बस आरंभ है,

काशी तेरा कण- कण शंकर

शाश्वत धर्म है।

जीवन और मृत्यु का दिखता अद्भुत मेल,

काशी, तुझमें सिमटता सृष्टि का खेल।

 

तो चलो, इस पवित्र भूमि को

ह्रदय से नमन करें,

गंगा की पावन धारा का

सहर्ष आचमन करें

 

VIAप्रीति राघव चौहान
SOURCEPRITI RAGHAV CHAUHAN
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नाम:प्रीति राघव चौहान शिक्षा :एम. ए. (हिन्दी) बी. एड. एक रचनाकार सदैव अपनी कृतियों के रूप में जीवित रहता है। वह सदैव नित नूतन की खोज में रहता है। तमाम अवरोधों और संघर्षों के बावजूद ये बंजारा पूर्णतः मोक्ष की चाह में निरन्तर प्रयास रत रहता है। ऐसी ही एक रचनाकार प्रीति राघव चौहान मध्यम वर्ग से जुड़ी अनूठी रचनाकार हैं।इन्होंने फर्श से अर्श तक विभिन्न रचनायें लिखीं है ।1989 से ये लेखन कार्य में सक्रिय हैं। 2013 से इन्होंने ऑनलाइन लेखन में प्रवेश किया । अनंत यात्रा, ब्लॉग -अनंतयात्रा. कॉम, योर कोट इन व प्रीतिराघवचौहान. कॉम, व हिन्दीस्पीकिंग ट्री पर ये निरन्तर सक्रिय रहती हैं ।इनकी रचनायें चाहे वो कवितायें हों या कहानी लेख हों या विचार सभी के मन को आन्दोलित करने में समर्थ हैं ।किसी नदी की भांति इनकी सृजन क्षमता शनै:शनै: बढ़ती ही जा रही है ।

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