Thursday, January 16, 2025
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रही होगी वजह कोई.. प्रीति

रही होगी वजह कोई जो उसने छोड़ दी महफिल उसे मगरूर कहकर क्यों भला हर पल चिढ़ाते हो है ढाई चाल में माहिर ना बैसाखियों पर जा है लम्बी रेस...

Mirage/मृगमारीचिका/ग़ज़ल

तलाश ए जिंदगानी में भटकना दरबदर मेरा मृगमरीचिका के संग रोज तय सफर होता है एक तरफ जान थी मेरी एक तरफ जान का टुकड़ा जलजला दोनों सूंं फैला क्या यही...
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